नई दिल्ली. अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राव उरांव ने कहा कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में दो संत कल्पवृक्षगिरी महाराज और सुशीलगिरी महाराज सहित उनके चालक निलेश तेलगडे की बिना कारण ही निर्मम हत्या कर दी गई, इतना ही नहीं मौके पर मौजूद पुलिस मूकदर्शक बनी जघन्य अपराध को देखती रही.
भारत की धरती संतों की धरती है. यहां पर संत वनों व पर्वतों में रहकर साधना करते आए हैं और उनकी साधना एवं सेवा में जनजाति समाज सदैव तत्पर रहता है. छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में कंधे से कंधा लगाकर संघर्ष करने वाला जनजाति समाज, भारतीय स्वतंत्रता समर में प्राणों की आहुति चढ़ा देने वाला समाज, संतों को पीट-पीट कर मार डाले यह अविश्वसनीय व अकल्पनीय है, समझ के परे है क्योंकि सनातनी जनजाति समाज उग्र होकर ऐसा कुकृत्य कर ही नहीं सकता है.
भारतीय समाज में संन्यासियों को हमेशा से ही पूज्य माना जाता है. संसार के सभी मोह-माया त्यागकर वनों में वर्षों से संत तपस्या करते आए हैं. ईश्वर की तपस्या में लीन संतों की सेवा में जनजाति समाज का बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि जनजाति समाज भी जंगलों में ही निवास करते है. इसलिए इनका जुड़ाव ऋषि-मुनियों से अधिक रहा है. शायद इसीलिए वेद-पुराण-उपनिषद जैसे कालजयी ग्रंथों की रचना वनों में ही रहकर हमारे ऋषियों ने की है. यहां की जड़ें आध्यात्मिक शक्ति से जुड़ी हैं और अनेक संत-महात्माओं, ऋषि-मुनियों द्वारा इसे सींचा गया है.
पालघर में संतों की हत्या होना भारतीय समाज के लिए दुर्भाग्य का विषय है. इस पर गहनता से विचार करने की जरूरत है कि आखिर में वे कौन से तत्व हैं जो जनजाति समाज को भ्रमित कर उसके सहज-सरल स्वभाव के विपरीत साधु संतों के और भगवा के प्रति नफरत का विष घोल रहे हैं. वामपंथी एवं चर्च से गुमराह हुए कुछ लोग इस जघन्य अपराध के कारण पूरे जनजाति समाज को बदनाम कर रहे हैं. यह सब एक साजिश के तहत हो रहा है. इसलिए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करता है. वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मांग की कि अपराधियों को जल्द कठोर से कठोर दंड दिया जाए. इस घटना में सीबीआई जांच हो ताकि पर्दे के पीछे छिपे विरोधी तत्वों की वास्तविकता समाज के सामने उजागर हो सके.