जबलपुर( विसंके). ‘सक्षम’ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री डॉ. कमलेश कुमार ने दोहराया है कि नेत्र को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित किया जाये.
डॉ. कमलेश ने बताया कि सक्षम पूरे देश में एक सौ नेत्र बैंक स्थापित करेगी. अभी 18 स्थानों पर इस तरह के बैंक स्थापित हो चुके है. डॉ. पवन स्थापक को नेत्र बैंकों का अखिल भारतीय तकनीकी निदेशक बनाया गया है. उन्होंने बताया कि 7, 8, और 9 नवम्बर को जबलपुर में सक्षम का सातवां अधिवेशन होगा. इसका पहला अधिवेशन लखनऊ में हुआ था. फिर दिल्ली, नागपुर, देहरादून, काशी, अलवर में और अब जबलपुर में होगा. इस अधिवेशन में पूरे भारत से एक हजार प्रतिनिधि भाग लेंगे. इसमें विकलांगों से जुड़े अनेक प्रस्ताव पास कराये जायेंगे.
नेत्र बैंक के प्रकल्प प्रमुख अविनाश संगवई ने बताया कि सक्षम की स्थापना 20 जून 2008 को नागपुर में हुई थी. उन्होंने बताया कि इस संस्था का उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के व्यापक संदर्भ में विकलांगों के सर्वांगीर्ण विकास का कार्य करना है. इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु उन्हें शिक्षित किया जाता है. इसके तहत दृष्टि बाधितों के लिये ब्रेल लिपि एवं मूक बधिरों के लिये संकेत भाषा आदि सिखाया जाता है. इन्हें टाइप, शॉर्टहैण्ड, कम्प्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसी प्रकार ब्रेल में पुस्तक प्रकाशन, ऑडियो बुक लाइब्रेरी का संचालन दृष्टि बाधितों के लिये लेखक एवम् पाठक उपलब्ध कराने का कार्य किया जाता है.
श्री संगवई ने बताया कि विकलांगों के शारीरिक न्यूनता के निवारण हेतु विभिन्न प्रकार के चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है. जैसे नेत्र जाँच शिविर, अस्थि रोग शिविर, श्रवण जाँच शिविर आदि. उनकी आवश्यकता के अनुरूप चिकित्सा तथा मार्गदर्शन किया जाता है. सक्षम के व्दारा देश भर में नेत्र बैंक, संकलन केन्द्र एवं नेत्रदान सूचना केन्द्र संचालित हो रहे है. इसके अलावा उन्हें स्वावलंबी बनाने हेतु लघु उद्योगों का प्रशिक्षण दिया जाता है. अगरबत्ती, मोमबत्ती, चाक, फाइल, ब्रश, मंजन, फिनाइल, रक्षा सूत्र, कढ़ाई, बुनाई, सिलाई तथा जड़ी बूटियों से औषधि बनाना सिखाया जाता है. श्री संगवई के अनुसार इनकी प्रतिमा के प्रकटीकरण के लिये उचित अवसर भी प्रदान किये जाते है. यदि किसी की रुचि संगीत, कथाप्रवचन आदि में है तो उन्हें मंच उपलब्ध कराया जाता है. विकलांग युवक-युवतियों का विवाह भी संस्था द्वारा कराया जाता है.