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सभी को एक साथ लेकर चलना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मूल मंत्र – इंद्रेश कुमार जी

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PRAYAG SAGIT SAMETE (3)इलाहाबाद (काशी). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एकता को अपना सूत्र माना है, जिसमें सबसे अहम सभी को एक साथ लेकर चलने का मूल मंत्र है. इंद्रेश जी रविवार को प्रयाग संगीत समिति में आयोजित एक दिवसीय तरूण संगम के उद्घाटन सत्र में सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आजकल लोग पश्चिम का कल्चर अपना रहे हैं, जो अनिष्ट करने वाला है. फीयर फ्रॉम गॉड यानि भगवान से डरो, पश्चिम की मान्यता है, भारतीय मान्यता में इससे अंतर है, हमारे अनुसार भगवान पर विश्वास करो, ईश्वर सबका उद्धार करता है. सजा देने की पद्धति पश्चिम की है. उन्होंने कहा कि सभी को जानने की आवश्यकता है कि भ्रूण हत्या कहां कितनी होती है. अमेरिका में 32 प्रतिशत से अधिक कुंवारी युवतियां मां बनती हैं. चीन में 18 प्रतिशत युवतियां मां बनती हैं. जहां कुंवारी युवतियां मां बनती है, वहां ही सबसे अधिक भ्रूण हत्याएं हो रही है. उन्होंने कहा कि प्यार को भोगवाद बनाने का नतीजा पश्चिम की धारणा है. जहां से वैलनटाइनडे जैसी विकृतियां निकलती हैं, जो पश्चिम से चलकर अब अपने देश में फैलती जा रही हैं. जिसे रोकने के लिए प्यार को भोगवाद से दूर करने का प्रयास करना अति आवश्यक है. प्यार गलत नहीं है, उसे भोगवाद बनाना गलत है जो पश्चिम का कल्चर है.

PRAYAG SAGIT SAMETE (4)हिन्दू संस्कृति पर अपना विचार रखते हुए चन्द्रबली हंस जी महराज ने कहा कि विश्व के सभी जीवों सहित मानव जाति के कल्याण के लिए पृथ्वी सूरज का चक्कर काट रही है. सूर्य जीवों के कल्याण के लिए प्रत्येक क्षण हवन कर रहा है, जिससे निकलने वाली ऊर्जा से संसार का कल्याण हो रहा है. सूर्य के हवन से प्रति मिनट 25 करोड़ टन ऊर्जा हमें प्राप्त हो रही है. लेकिन वहां से पृथ्वी पर पहुंचने वाली ऊर्जा आधे का अरबवां हिस्सा ही है. पृथ्वी उस ऊर्जा का 45 प्रतिशत ही उपयोग कर पा रही है. उन्होंने कहा कि हिन्दू संस्कृति प्रकृति से उत्पन्न हुई है. प्रकृति के अनुकूल चलने वाले ही मानव हैं और जो प्रकृति के विपरीत कर्म कर रहे हैं, वह राक्षस की श्रेणी में आते हैं. हिन्दू संस्कृति व धर्म से ही अन्य धर्मों का उद्गम हुआ है.

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने भारत के इतिहास के सम्बन्ध में अपना विचार रखा और कार्यक्रम में अन्त में इन्द्रेश जी ने इच्छुक तरूणों के मन में उत्पन्न होने वाले सवालों के उत्तर दिये. कार्यक्रम के प्रथम सत्र में डाक्टर मिलन मुखर्जी ने अध्यक्षता की. कार्यक्रम का उद्घाटन इन्द्रेश जी और पण्डित राम शिरोमणि, प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया.

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