जालंधर (वि.सं.के). देश में वर्तमान में जो सामाजिक कुरीतियां दिख रहीं हैं उनमें से अधिकतर का निराकरण संयुक्त परिवार प्रणाली है. यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्षेत्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री प्रेम जी गोयल ने कुंदन लाल सहगल हॉल में रविवार 24 अगस्त को आयोजित नव दंपति कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किये. श्री गोयल ने कहा कि हम जितना परंपरागत जीवन के नजदीक जायेंगे, अपनी जड़ों की ओर लौटेंगे उतना ही श्रेयस्कर होगा. इस समारोह में संघ के प्रांत सह-संघचालक ब्रिगेडियर (से.नि.) जगदीश गगनेजा, विभाग संघचालक ठाकुर बलवंत, परिवार प्रबोधन के महानगर प्रमुख श्री अरुण प्रभाकर ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में श्री गोयल ने कहा कि संयुक्त परिवार में न केवल बच्चों का लालन-पालन, उनके समाजीकरण की प्रक्रिया भलीभांति संभव हो पाती है, बल्कि युवा सदस्यों को भी उचित मार्गदर्शन मिलता है. आज देखने में आता है कि घर में बड़े सदस्य के अभाव में युवा दंपतियों में होने वाले छोटे-मोटे झगड़े भी तलाक जैसी स्थिति में पहुंच जाते हैं. ऐसा नहीं कि दंपतियों में पहले झगड़े या घरों में क्लेश नहीं होता था परंतु उस समय घरों में बड़े-बुजुर्गों के रूप में हमारे पास ऐसे न्यायाधीश थे जो इन समस्याओं का उचित निपटारा कर देते थे.
अपने संबोधन में प्रांत के सह-संघचालक ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा ने घरों में तुलसी के पौधे लगाने व महापुरुषों के चित्र लगाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि छोटी सी दिखने वाली इन बातों में बहुत बड़ा रहस्य छिपा है. जब हम प्रतिदिन महापुरुषों के चित्र देखते हैं तो हमारे जीवन में चाह-अनचाहे उनके गुण पैदा होने आरंभ हो जाते हैं. इसी तरह हमें अपने घरों में बुजुर्गों के चित्र भी सुशोभित करने चाहिये ताकि हमें स्मरण रहे कि आज हम जो भी हैं अपने पूर्वजों के परिश्रम के बल पर हैं. हमें उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते रहना चाहिये.
समारोह को संबोधित करते हुए संघ के जालंधर विभाग के संघचालक ठाकुर बलवंत ने कहा कि शादी के बाद नवदंपतियों को अपने सहचरों की कमियों व गुणों के साथ उन्हें अपनाना चाहिये. परस्पर अच्छे व्यवहार से दंपति के अवगुण स्वत: ही तिरोहित हो जाते हैं. हमें पश्चिमी नकल छोड़ कर अपनी संस्कृति के अनुकूल संयुक्त परिवार में जीवन निर्वहन करना चाहिये. परिवार प्रबोधन के महानगर प्रमुख श्री अरुण कुमार प्रभाकर ने आगत गणमान्य व्यक्तियों के प्रति आभार प्रदर्शित किया.