पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि संघ विचार के कार्य का प्रभाव सर्वदूर बढ़ रहा है. इस प्रभाव से परिवर्तन दिख रहा है. इस सामाजिक परिवर्तन की गति बढ़ाने की आवश्यकता है. सरसंघचालक जी ने कार्यकर्ताओं से कार्य की गति बढ़ाने का आह्वान किया. सरसंघचालक जी संघ विचार से प्रेरित होकर काम करने वाले विभिन्न संगठनों तथा संस्थाओं के कार्य की समीक्षा, संगठनात्मक विकास, सेवा कार्यों की स्थिति, आगे के संकल्प आदि विषयों पर चर्चा के लिए आयोजित समन्वय बैठक के समापन अवसर पर संबोधित कर रहे थे. रविवार को मयूर कॉलोनी, कोथरूड में बाल शिक्षण मंदिर के सभागृह में बैठक आयोजित की गई थी. सरसंघचालक जी ने कहा कि संघ से समाज की अपेक्षा बढ़ रही है. बढ़ी हुई उम्मीदों के कारण राष्ट्रीय विचारों के सभी संगठनों की जिम्मेदारी भी बढ़ी है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि अपने परिवार और समाज में परिवार के प्रबोधन द्वारा ऐसे संस्कार होने चाहिए, जिससे मौलिक राष्ट्र भावना की वृद्धि हो.
बैठक में महाराष्ट्र की संस्थाओं और संगठनों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इनमें अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरूद्ध देशपांडे जी, अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य मधुभाई कुलकर्णी जी, डॉ. अशोक कुकडे जी, परिवार प्रबोधन प्रमुख रविंद्र जोशी जी, पश्चिम क्षेत्र संघचालक जयंतीभाई भाडेसिया जी, क्षेत्र कार्यवाह सुनीलभाई मेहता, विज्ञान भारती राष्ट्रीय संगठन मंत्री जयंतराव सहस्त्रबुद्धे जी, भारतीय मजदूर संघ के उदयराव पटवर्धन जी, राष्ट्र सेविका समिति की सुनीला सोवनी जी, वरिष्ठ फिल्म निर्देशक राजदत्त जी, अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट दादासाहेब बेंद्रे जी, क्रीड़ा भारती के अखिल भारतीय महामंत्री राज चौधरी जी, विदर्भ प्रांत संघचालक दादाराव भडके जी, कोंकण प्रांत संघचालक सतीश मोढ जी, देवगिरी प्रांत संघचालक गंगाधर पवार जी, सहित अन्य उपस्थित थे. प्रति वर्ष होने वाली यह बैठक इस वर्ष पुणे में आयोजित की गई थी.
समाज में विशेष रूप से युवा वर्ग में संघ की बढ़ती स्वीकार्यता, संघ कार्य का ग्राम स्तर तक विस्तार, संघ के विस्तार और सेवाकार्यों की समीक्षा, विविध कार्यों और सेवा कार्यों में समर्पित भावना से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की बढ़ती संख्या, लक्षणीय संख्या में होने वाले काम और सेवा कार्यों द्वारा समाज में अंत्योदय के कल्याण का विचार करते समय आने वाली चुनौतियां, उनके उपाय और आगे की यात्रा हेतु संकल्प सहित ऐसे अनेकविध पहलुओं पर बैठक में विस्तार से चर्चा की गई.
संघ प्रयासों की यशोगाथा
शाखा, स्वयंसेवक, संघ विचार से काम करने वाली संस्था और संगठनों के कुल मिलाकर महाराष्ट्र राज्य में तहसील स्तर तक 90 हजार से अधिक कार्यकर्ता कार्यरत हैं. जबकि उतने ही कार्यकर्ता ग्राम स्तर और शाखा स्तर तक काम कर रहे हैं. इन कार्यकर्ताओं के बल पर 2 हजार 359 गांवों में 4 हजार 955 सेवाकार्य चल रहे हैं. नक्सली गतिविधियों को रोकने और विभिन्न समुदायों में धर्मांतरण के विषय पर भी विस्तार से चर्चा हुई. 47 हजार से अधिक घुमंतु विमुक्त लोगों को राशन कार्ड तथा सरकारी योजना से एक हजार परिवारों को घर दिलवाना, कच्ची बस्तियों पर पाठशालाओं का अभिनव प्रयोग, साथ ही राज्य में ग्राम विकास और अकाल स्थिति निवारण हेतु 175 गांवों में जन सहभागिता से जल सिंचाई और जल संवर्धन के सफलतापूर्वक चलाए गए उपक्रम, इन उपक्रमों के सकारात्मक परिणाम के रूप में अकाल सदृश गांवों में टैंकर की संख्या 04 हजार 883 से 798 तक आई है. इसके साथ ही राज्य में दो बड़ी नदियों का सफल पुनरुज्जीवन, राज्य में खेती विकास के लिए 50 गांवों में काम जारी है और खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवार की लड़कियों की शिक्षा और निवास की सुविधा की गई है. शिक्षा, समरसता, पर्यावरण, ग्राम विकास, परिवार प्रबोधन, कृषि और कृषि उत्पादन के लिए संघ और संघ विचारों की संस्था–संगठनों द्वारा जारी अनगिनत सफल प्रयासों पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने संतोष जताते हुए समाज के आखिरी घटक तक पहुंचने की आवश्यकता व्यक्त की.
इससे पूर्व शुक्रवार 10 नवंबर और शनिवार 11 नवंबर को तलेगाँव में संघ की नियोजित बैठकों और कार्यक्रमों में उपस्थित रहते हुए सरसंघचालक जी ने स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं का मौलिक मार्गदर्शन किया. पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत कार्यवाह विनायकराव थोरात जी ने यह जानकारी प्रदान की.