शिमला (विसंकें). 16 नवम्बर 2015 सायंकाल का समय कुल्लू के ऐतिहासिक कोटला गांव के निवासियों के लिए एक दिवास्वप्न की भांति ही था. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत की कमाई से बनाये आशियानों को अपने सम्मुख जलकर राख होते हुए देखा. पास में घास के ढेर से चिंगारी के रूप में फैली आग ने देखते ही देखते दावानल का रूप धरण कर लिया और थोड़े ही समय में आग लकड़ी से बने घरों तक फैल गई. कोटला गांव में सामान्य रूप से जल की कमी है और सदैव किल्लत ही बनी रहती है. पीने के पानी की व्यवस्था भी दूर से लाकर करनी पड़ती है. इसलिए बिन पानी आग बुझाने के सारे प्रयास व्यर्थ साबित हुए. इस आग में घी का काम तीन ओर से निरंतर बहने वाली हवा ने किया.
समय मिलते ही सभी घर वालों ने घर के भीतर की वस्तुओं, सामग्री व कपड़ों को बाहर निकालना प्रारम्भ किया व मवेशियों को खोलना प्रारम्भ कर दिया. जिससे कुछ सामान व कुछ मवेशी बच पाये. लेकिन आपाधपी के मंजर के बीच कुछ मवेशी अन्दर ही बंधे रह गये और देखते ही देखते सब स्वाहा हो गया. जानकारी मिलते ही आसपास के गांवों के लोग, प्रशासन अमला भी मौके पर पहुंचे, लेकिन आग को काबू करने में असपफलता ही हाथ लगी. स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से भी प्रभावित परिवार हेतु सहायता की मुहिम चलाई गई. गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी कल्लू की ओर से खाद्य सामग्री का प्रबन्ध किया गया, सेवा भारती कुल्लू के सौजन्य से कार्यकर्ताओं द्वारा प्रत्येक प्रभावित परिवार को प्राथमिक उपयोग की वस्तुएं टैन्ट, तिरपाल, कम्बल, रजाई-गद्दे, खाना बनाने के बर्तन, पहनने के कपड़े, इत्यादि निःशुल्क वितरित किये गये. सेवा भारती कुल्लू द्वारा कोटला गांव के अग्निकांड से प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री वितरण का कार्यक्रम जिला सेवा प्रमुख चतर सिंह, सह जिला कार्यवाह कृष्णमोहन व अन्य की देखरेख में चल रहा है. घटना में 75 घर नष्ट हुए हैं, जिससे 300 लोग प्रभावित हुए हैं.