अमरावती. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत जी ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय जीवन का मूल आध्यात्मिक है, इसका वर्णन एक वाक्य में हो जाता है, तथापि इसका आचरण कठिन है. यही कारण है कि हमारा बहुत नुकसान हुआ है. हमें अपनी आत्मीयता की परिधि बढ़ाना आवश्यक है. चक्रधर स्वामी का उपदेश केवल महानुभावों के लिये नहीं था, वरन सभी के लिये था. सरसंघचालक 19 मार्च को महानुभाव पंथ की काशी कहे जानेवाले ऐतिहासिक रिद्धिपुर में आयोजित सत्कार समारोह में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि अनेक संप्रदाय और विभिन्न रीति-रिवाजों से रचा-बसा संसार सुन्दर फूलों के गुलदस्ते की तरह है. हमारा देश भी विविधताओं से भरा है. विविधता में एकता यह अपने देश की संस्कृति है. विविधता में जब भेद उत्पन्न हो जाते हैं, तो पतन का मार्ग प्रशस्त होता है. जबकि एकता का भाव रहने पर राष्ट्र विश्वगुरु पद पर आरूढ़ हो सकता है. यही कारण है कि विविधता में एकता ही हमारी विशेषता है और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सन्देश को सारी दुनिया तक पहुंचाने का हम संकल्प करें.
सरसंघचालक ने कहा कि पंथ-संप्रदाय हमें सदाचार सिखाते हैं और सबके एकसाथ आने से इसे बल मिलता है. हम एक-दूसरे के सुख-दुःख में काम आएं. गोविन्दप्रभु, चक्रधर स्वामी जैसे युगपुरुष हमें पथ प्रदर्शक मिले हैं. उनके सन्देश की आज समाज को महती आवश्यकता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत 19 मार्च (गुरुवार) को जिले के दौरे पर पहुंचे. दोपहर 3.30 बजे रिद्धिपुर स्थित गोविंद महाराज राजमठ में उनका आगमन हुआ. उन्होंने यक्षदेव मठ में महानुभाव पंथ के प्रमुख महंतों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की तथा ऐतिहासिक गोपीराज मठ जाकर 650 वर्ष पुराने हस्तलिखित धर्मग्रंथों एवं पुरातन कालीन बर्तनों को देखा. इसके बाद संघप्रमुख भागवत लीलाचरित्र ग्रंथ के रचना स्थल वाजेश्वरी पहुंचे, जहां उनका भव्य सत्कार किया गया. अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के अध्यक्ष कारंजेकर बाबा ने सरसंघचालक डॉ. मोहन भगवत का महावस्त्र, सम्मान पत्र, शाल तथा श्रीफल देकर सत्कार किया. इस अवसर पर गोविन्दप्रभु व चक्रधर स्वामी के जीवन चरित्र पर आधारित पुस्तकों का विमोचन किया गया. धाराशिवकर बाबा और बिडकरबाबा ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
सत्कार समारोह में अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के अध्यक्ष कारंजेकर बाबा, उपाध्यक्ष धाराशिवकर बाबा व कार्याध्यक्ष महंत विध्वंस बाबा सहित सर्वश्री वर्धनस्थ बिडकर बाबा, यक्षदेव महाराज, महंत सालकर बाबा, महंत सालकर बाबा, महंत धामणीकर बाबा, महंत लोणारकर बाबा, महंत लाचुरकर बाबा, महंत मेहकरकर बाबा, महंत दर्यापुरकर बाबा, महानुभाव पंथ के गणमान्यों सहित परिसर के हजारों लोग सरसंघचालक का भाषण सुनने के लिए एकत्र थे.
उल्लेखनीय है कि महानुभाव पंथ के संस्थापक चक्रधर स्वामी ने रिद्धिपुर में मठ की स्थापना की थी. यह राजमठ आज भी विद्यमान है, यहां आकर सरसंघचालक ने मठ का दर्शन किया. समूचा रिद्धिपुर सरसंघचालक के स्वागत के लिये सुसज्जित था. महिलाओं ने मार्ग को रंगोली से सजाया था.