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हिन्दुत्व में एकात्मता का भाव, इसमें सभी के कल्याण की चिंता – सुनील आम्बेकर

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लखनऊ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने कहा कि हिन्दुत्व में एकात्मकता का भाव है. इस भावना में सभी के कल्याण की चिंता निहित है. आज पूरी दुनिया को हिन्दुत्व के इस एकात्म भाव की बहुत आवश्यकता है.

सुनील आम्बेकर विश्व संवाद केंद्र लखनऊ द्वारा ‘हिन्दुत्व, एक शाश्वत परिकल्पना’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि समानता और एकात्मकता को समझने का तत्व ही हिन्दुत्व है. यह एक लोक कल्याण का मार्ग है. दुनिया में पांथिक आधार पर आतंक फैलाया जा रहा है. करीब एक हजार साल से समूचा विश्व इस विध्वंस का सामना कर रहा है. विध्वंस को फैलाने के लिए तकनीक का भी प्रयोग किया जा रहा है.

सह प्रचार प्रमुख ने कहा कि विध्वंसकारी शक्तियों से परेशान होकर आज पूरी दुनिया को एक ऐसे राष्ट्र की जरुरत है जो हिन्दुत्व के भाव पर हो और उसकी शक्ति लोक कल्याण के लिए हो. हिन्दुत्व भाव के साथ वाली शक्ति विध्वंस के लिए नहीं, बल्कि समृद्धि और कल्याण के लिए होती है.

उन्होंने आद्य शंकराचार्य से लेकर स्वामी विवेकानंद तक और उसके बाद के तमाम ऋषियों और संतों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन महापुरुषों ने भी हिन्दुत्व के इस तत्व को अपने-अपने भाव में व्यक्त किया.

उन्होंने विज्ञान की शक्ति और उसकी आवश्यकता पर भी बल दिया. लेकिन, यह भी कहा कि विज्ञान की शक्ति बहुत हद तक उसकी संगति से निर्धारित होती है. विज्ञान जब अध्यात्म की संगति करता है तो उसका स्वरुप असीमित, समग्र और समन्वयक हो जाता है. लेकिन दूसरी तरफ विज्ञान की संगति यदि राजनीति से हो जाती है तो यह सीमित हो जाता है. इसमें अपनों की संख्या कम और परायों की संख्या अधिक हो जाती है.

उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व समाज को जोड़ने का काम करता है. यही इसका शाश्वत स्वरुप है. इसमें जातीयता के आधार पर विभाजन नहीं है. भारत में विभिन्नता है, जिस पर लोग विभिन्नता में एकता की बात करते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि हम एक ही हैं, लेकिन विविध रुप में प्रकट होते हैं.

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