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जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय से संपर्क न कर पाने का दावा गलत – सर्वोच्च न्यायालय

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सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से प्राप्त रिपोर्ट जम्मू-कश्मीर में लोगों के उच्च न्यायालय से संपर्क करने में असमर्थ होने संबंधी दावे का समर्थन नहीं करती है.

बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने 16 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि कश्मीर घाटी के लोग उच्च न्यायालय से संपर्क नहीं साध पा रहे हैं. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी. रिपोर्ट जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी के दावे को गलत बताया गया है.

जस्टिस एस.ए. बोबडे और जस्टिस एस.ए. नजीर ने सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी से कहा कि, ‘‘हमें उच्च न्यायालय (जम्मू कश्मीर) के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मिली है जो उस दावे का समर्थन नहीं करती, जिसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में लोग उच्च न्यायालय से संपर्क करने में असमर्थ हैं.’’

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने का मुद्दा उठाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगी क्योंकि याचिका में नाबालिगों से संबंधित ‘‘महत्वपूर्ण मुद्दे’’ उठाए गए हैं.

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च ने कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने के मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की चाइल्ड जस्टिस कमेटी से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को भी कहा है.

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