नई दिल्ली. शंकर नगर पूर्वी दिल्ली स्थित गीता बाल भारती विद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का समापन समारोह सम्पन्न हो गया.
समारोह में मुख्य अतिथि जस्टिस प्रमोद कोहली ने बताया कि देश में कई संस्थायें हैं, किन्तु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही एक ऐसा संगठन है जो समाज में देशभक्ति की भावना पैदा करने का कार्य करता है. उन्होंने बताया कि स्वयंसेवक अर्थात स्वयं पर निर्भर रहने वाले जो किसी पर निर्भर न रहें, ऐसा सभी को बनना होगा तभी समाज के अच्छे अंग बन सकते हैं. उन्होंने चिंता प्रकट की कि आज टेलीविजन के माध्यम से समाज में अनेक त्रुटियां आ रही हैं. लोगों में संवेदना के अभाव के कारण समाज में समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं. संघ के माध्यम से इसमें सुधार आ सकता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री अनिल ओक जी ने मुख्य वक्ता के नाते समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के अन्दर संवेदना होनी चाहिये, संवेदनशील मन के साथ शक्ति की उपासना अत्यंत आवश्यक है. आज के परिदृष्य पर उन्होंने कहा कि आज श्रेष्ठ व अच्छा कैसे दिखा जाये, इस पर हमारा ध्यान केन्द्रित होते जा रहा है जबकि आवश्यकता है कि हम श्रेष्ठ व अच्छे कैसे बनें. समाज में कुछ न कुछ परिवर्तन आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि केवल सरकार बदलने से दुनिया में कभी राष्ट्र का निर्माण नहीं हुआ. दुनिया में कहीं भी सरकार के भरोसे बैठे रहने से परिवर्तन नहीं हुआ, व्यक्ति स्वयं से इसकी शुरुआत करे तभी परिणाम आयेंगे.
चीन की नीति पर उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चीन नहीं चाहता कि भारत महाशक्ति बने इसलिये वह हमारी चारों ओर से घेराबंदी करने में लगा है, पाकिस्तान के विषय पर उन्होंने कहा कि उसका निर्माण ही ईर्ष्या के कारण हुआ है, इसी कारण वह भारत में आतंकवाद फैला रहा है. उन्होंने भारत की समृद्ध गौरवशाली प्राचीन संस्कृति से अवगत कराते हुए कहा कि पिछले 50-100 वर्षों में विश्व में अनेक देश बने और समाप्त हो गये किन्तु भारतवर्ष पिछले 2500 वर्षों से प्रमाणित रूप से जीवित है. यह हमारे ऋषि-मुनि, महापुरुषों की कठिन साधना का ही परिणाम है कि हम एक राष्ट्र के रूप में अभी भी जीवित हैं.
उन्होंने रविन्द्र नाथ ठाकुर का स्मरण कराते हुए कहा कि इस राष्ट्र का गौरव हिन्दू मार्ग से ही पुनर्जीवित होगा, इसके लिये अच्छे नायक चाहिये, जो चरित्रवान और आत्मीय हों. देश के युवाओं के विदेशों में पलायन पर उन्होंने चिंता जताई, उन्होंने कहा कि जिस देश ने हमें इतना कुछ दिया उसके प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिये. युवाओं को विवेकानन्द के दिखाये मार्ग पर चलने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि युवा निर्भय बनें, सामर्थ्यशाली बनें एवं स्वगौरव के प्रति आस्थावान बनें.
राष्ट्र की सुरक्षा पर विशेष जोर देते हुए उन्होंने याद दिलाया कि नालंदा एवं तक्षशिला में रखी प्राचीन भारतीय ज्ञान व साहित्य की पुस्तकें छह महीने तक विदेशी आक्रमणकारियों के हाथों जलती रहीं क्योंकि हमने शक्ति की उपासना छोड़ दी थी. इस कारण देश गुलाम बना. देश की संस्कृति व ज्ञान की रक्षा तभी हो सकती है जब देश रक्षा के क्षेत्र में शक्तिशाली होगा.
डॉ. हेडगेवार जी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. साहब चाहते तो सुख सुविधा से भरा जीवन जी सकते थे किन्तु उनके मन में देश व समाज के प्रति संवेदना व करुणा का भाव था, इसके लिये उन्होंने अपना जीवन अपर्ण किया. उनको मालूम था कि देश को जोड़ने का कार्य हिन्दू संस्कृति ही कर सकती है. इसके लिये उन्होंने संघ की स्थापना की. उन्होंने बताया कि जीवन मूल्यों को जोड़ने से एक संस्कृति का निर्माण होता है. पूजा पद्धति, सम्प्रदाय देश को जोड़कर नहीं रख सकते. अपने पूवर्जों के साथ अपना गौरव अनुभव करो तो राष्ट्रीयता की भावना जागृत होगी, इसके लिये डॉ. हेडगेवार जी ने दैनिक शाखा का माध्यम अपनाकर राष्ट्र को एक करने का सफल उपाय बताया.
दिल्ली प्रांत का यह वर्ग 25 मई से प्रारम्भ होकर 15 जून प्रातः 6.30 बजे सम्पन्न हुआ. इस वर्ग में 15 से 40 वर्ष की आयु के 11वीं कक्षा से पी.एच.डी तक की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी व इसी आयु के व्यवसायी, कर्मचारियों ने शिक्षण प्राप्त किया. वर्ग में 202 शिक्षार्थी दिल्ली के व 5 अन्य प्रान्तों के थे इस प्रकार 207 शिक्षार्थी उपस्थित रहे. इन शिक्षार्थियों को विभिन्न विशयों का शिक्षण देने के लिए 23 शिक्षक व विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए 54 प्रबन्धक पूरे 20 दिन वर्ग में रहे.
यहां आये सभी शिक्षार्थियों, शिक्षकों, एवं प्रबन्धकों ने वर्ग का 800/- रु. शुल्क व संघ के गणवेश का सारा खर्च स्वयं वहन किया.
वर्ग की दिनचर्या प्रतिदिन प्रातः 4:15 से प्रारम्भ हो कर रात्रि 10:30 बजे तक चलती थी. प्रातः दिनचर्या का शुभारम्भ समाज के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा प्रातः 5:00 बजे भारत माता के चित्र के सामने दीप प्रज्जवलन से होता था. कुछ प्रमुख व्यक्ति जो इस वर्ग में पधारे उनमें एक राष्ट्रीय टी.वी. चैनल के पूर्व मुख्य संपादक, भारत वर्ष में एक देश के वर्तमान राजदूत, चाटर्ड एकाउंटेंट संस्थान के पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय, महाविद्यालय की प्रधानाचार्या, रक्षा विषेशज्ञ, आई.ए.एस अधिकारी, सेवानिवृत जज आदि शामिल थे.
वर्ग में सभी शिक्षार्थियों ने प्रातः व सायंकाल मिलाकर 4 घंटे शारीरिक के विभिन्न विषयों का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इनमें दंड यानी लाठी, नियुद्ध जिसे जूडो-कराटे भी कहते हैं, योगासन, प्राणायाम, गण समता, व्यायाम योग, खेल आदि प्रमुख विषय रहे.
वर्ग में सिखाये इन सभी विषयों का प्रदर्शन समापन समारोह में कुशलतापूर्वक किया गया.
प्रतिदिन प्रातः शारीरिक के पश्चात स्वयंसेवकों में सेवा का भाव बढ़ाने के लिये आधा घंटे की श्रम साधना कराई जाती थी. इसमें सभी शिक्षार्थी पूरे परिसर की सफाई जिसमें मैदान, शौचालय, स्नानघर, भोजनालय सम्मिलत हैं, अपने हाथों से करते थे.
दिनचर्या में प्रतिदिन विभिन्न बौद्धिक कार्यक्रम भी रहते थे, जैसे सामूहिक चर्चा, बौद्धिक, शिक्षार्थियों द्वारा प्रतिभा प्रदर्शन आदि प्रमुख थे. बौद्धिक के विषयों में अनुशासन, हमारा गौरवशाली इतिहास, भारत की विश्व को देन, विभिन्न सामाजिक एवं राष्ट्रीय समस्यायें व उन्हें दूर करने में हमारी भूमिका आदि सम्मिलित थे. रात्रि कार्यक्रमों में विभिन्न महापुरुषों जैसे स्वामी विवेकानन्द, छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर, गुरु गोविन्द सिंह जी, आदि का जीवन परिचय कथा-कहानी के माध्यम से स्वयंसेवकों को बताया गया.
वर्ग में अन्य विषयों के अतिरिक्त सेवा कार्य कैसे करें व इनका महत्व व आवश्यकता, प्रचार, पर्यावरण एवं जल संरक्षण आदि विषयों की जानकारी व प्रशिक्षण शिक्षार्थियों को दिया गया.
यहां सभी स्वयंसेवक 20 दिन के लिये अपने परिवार से दूर रहे तो एक दिन उत्तरी दिल्ली के 150 स्वयंसेवक परिवार स्वयंसेवकों से मिलने व उनके साथ भोजन करने के लिये अपने घरों से भोजन बनाकर लाये. इससे स्वयंसवकों में यह भाव जगाने का प्रयास रहता है कि अपने जन्म वाले परिवार के अतिरिक्त सारा समाज भी अपना ही परिवार ही है. इस कार्यक्रम को वर्ग में ‘मातृहस्त’ भोजन कहते हैं.
इसी प्रकार शिक्षार्थियों में आत्मविश्वास व जिम्मेदारी का भाव जागृत करने के लिये एक दिन वर्ग चलाने व शिक्षण देने की सारी जिम्मेदारियां शिक्षार्थियों को दी गईं. इस दिन को वर्ग में ‘शिक्षार्थी दिवस’ के नाम से पुकारते हैं.
वर्ग में संघ के अनेक प्रमुख पदाधिकारी पधारे, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली) के संघचालक मा. बजरंग लाल जी गुप्त, क्षेत्र के प्रचारक श्री रामेश्वर जी, क्षेत्र के सह कार्यवाह श्री विजय कुमार जी, क्षेत्र के प्रचार प्रमुख श्री नरेन्द्र जी, व दिल्ली प्रांत कार्यकारिणी के अनेक सदस्य सम्मलित थे.
वर्ग समापन समारोह में संघ के दिल्ली प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा, सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश प्रमोद कोहली, वाल्मीक संत समाज के संत तारा चंद उपाध्याय, दिल्ली प्रांत सह संघचालक डॉ. श्याम सुन्दर अग्रवाल, सहित संघ के कई अधिकारी उपस्थित थे.
वर्ग के शिक्षार्थियों को विभिन्न विषयों की शिक्षा देने के साथ-साथ जीवन के जिन मूलभूत गुणों के विकास की ओर ध्यान दिया गया वे हैं- अनुशासन, समय पालन, आत्म विश्वास, परस्पर समन्वय एवं सहयोग, सभी में समानता का भाव, माताओं बहनों का सम्मान व सुरक्षा, देशभक्ति, दुखी व पीडि़तों के प्रति संवेदना का भाव. वर्ग से शिक्षा प्राप्त कर शिक्षार्थी समाज के अन्य भगिनी-बंधुओं में भी यह भाव जागृत करेंगे- इस प्रेरणा के साथ वर्ग का समापन हुआ.