जबलपुर (विसंकें). रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के ‘भारतीय ज्ञान शोध पीठ’ के अंतर्गत विक्रमी संवत्सर की महत्ता विषय पर राष्ट्रीय विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय विमर्श कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र जी ने कहा कि अध्यात्म ही भारत की आत्मा है. निश्चित तौर पर इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है. हमारे मुख्य वक्ता ने नवसंवत्सर की व्याख्या वैज्ञानिक तरीके से की है.
विश्वविद्यालय के ‘भारतीय ज्ञान शोध पीठ’ के अंतर्गत विक्रम संवत्सर की महत्ता विषय पर राष्ट्रीय विमर्श कार्यक्रम सुप्रसिद्ध चिकित्सक एवं समाजसेवी डॉ. जितेन्द्र जामदार के मुख्य आतिथ्य, विश्वजीत जी के सारस्वत आतिथ्य एवं राजकुमार जी की उपस्थिति में आयोजित हुआ.
मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ. जामदार जी ने वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि काल गणना का पक्ष श्रीमद्भागवत गीता पर आधारित है. बारहवें अध्याय में इसका उल्लेख किया गया है. उन्होंने अष्टमी एवं नवमीं के संबंध में बताते हुए कहा कि भगवान श्रीराम का जन्म दोपहर 12.00 बजे हुआ था तो नवमीं उसी समय मनाई जाएगी, जब दोपहर में 12.00 बजे हों और अष्टमी की उपासना रात्रि में होती है. डॉ. जामदार ने कहा कि हिन्दू काल गणना के अनुसार दिन और रात एक बराबर नहीं होते हैं.
सारस्वत अतिथि विश्वजीत जी ने गणितीय गणना के आधार पर विक्रमी संवत्सर की जानकारी देते हुए कहा कि काल का स्वामी ही महाकाल है. महाकाल के लिए किया गया मंत्रोपचार आयु में वृद्धि प्रदान करता है, इसके पीछे विज्ञान है. कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया एवं दीप प्रज्ज्वलित किया. संयोजक प्रो. रामशंकर जी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं अतिथियों का स्वागत किया. संचालन डॉ. पूर्णिमा शर्मा जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रवेश पाण्डेय जी ने किया.