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समाज के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन करें स्वयंसेवक – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

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देहरादून (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि स्वयंसेवक सिर्फ शाखा में आने तक सीमित न रहें. उनकी समाज के प्रति जिम्मेदारियां बनती हैं, उनका निर्वहन निष्ठा और समर्पण भाव से करें. सह सरकार्यवाह जी एमकेपी इंटर कॉलेज के मैदान में रामनगर के नगर एकत्रीकरण में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे तमाम बुजुर्ग हैं, जो घर में अकेले रहते हैं. क्योंकि, उनके बच्चे नौकरी या अन्य कामों की वजह से बाहर हैं. स्वयंसेवक सप्ताह में एक दिन कुछ वक्त निकालें और उन बुजुर्गो के साथ बिताएं, जिससे उनका अकेलापन कुछ तो दूर हो. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर संघ के बारे में भ्रामक प्रचार किया जा रहा है. जबकि, संघ की स्थापना समाज को जोड़ने के उद्देश्य के साथ हुई थी और आज भी इसी लक्ष्य पर संघ और स्वयंसेवक कार्य करते हैं. अपनी संस्कृति से लगाव रखने वाले और सामाजिक क्षेत्र में काम करने के इच्छुक युवा बड़ी संख्या में संघ से जुड़ रहे हैं. आज प्रतिवर्ष एक से सवा लाख युवा संघ से जुड़ रहे हैं. आज विश्व के तमाम देशों में आरएसएस की तर्ज पर संगठन बनाए जा रहे हैं. इस दौरान प्रांत प्रचारक युद्धवीर जी, महानगर के संघचालक आजाद सिंह रावत जी, क्षेत्र सामाजिक समरसता प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल जी, प्रांत सह व्यवस्था प्रमुख नीरज मित्तल सहित अन्य स्वयंसेवक उपस्थित रहे.

अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई प्रश्न नहीं

पत्रकारों से बातचीत में डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि पिछले कुछ सालों से अभिव्यक्ति की आजादी नहीं रही. जबकि, यह गलत है और यह आजादी पहले की तरह है. पत्रकारों पर हमलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि किसी समाज की भावनाओं को ठेस न पहुंचे. हालांकि, किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. लेकिन, यह कहना भी गलत है कि यह सब एक विशेष विचारधारा के कारण हो रहा है. मीडिया जनसंवाद का माध्यम है. पत्रकारों को समाज में हो रहे अच्छे कार्यों को लोगों तक पहुंचाना चाहिए. लेकिन, लूट, हत्या, दुष्कर्म जैसी घटनाओं को ही प्राथमिकता दी जाती है.

संविधान में जबरन जोड़ा सेक्युलर शब्द

सेक्युलर इंडिया के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह शब्द 1976 में जबरन संविधान में जोड़ा गया. जबकि, यह बड़ा सवाल है कि सेक्युलर शब्द होना भी चाहिए या नहीं. क्योंकि, किसी को नहीं पता कि यह क्या है? इस शब्द का इस्तेमाल कुछ लोग राजनीतिक फायदे के लिए करते हैं. वह जनता को आपस में भिड़ाते हैं. लेकिन, जनता जागरूक है. उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पहले से ही पंथ निरपेक्षता का भाव शामिल है.

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