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आपस में सामन्जस्य बिठाना ही एकात्म मानव दर्शन – राज्यपाल कलराज मिश्र

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युवाओं में भटकाव रोकने के लिए राष्ट्र भाव का जागरण जरूरी – दुर्गादास

राष्ट्रीय सुरक्षा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार दर्शन विषय पर व्याख्यान

जयपुर (विसंकें). पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक स्थल, धानक्या में 11 फरवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार दर्शन विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. समारोह को राज्यपाल कलराज मिश्र और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने संबोधित किया.

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि आचार, व्यवहार को कर्तृत्व के माध्यम से कभी थोपने का प्रयास नहीं किया, बल्कि उन्होंने कठिन परिश्रम से लोगों को अनुभव करना सिखाया. दीनदयाल लोगों के मन में बसे हुए थे. पंडित दीनदयाल ने कष्ट सहकर जो काम किया, वो अद्भुत है. उनका मानना था कि राष्ट्र, समाज को एकत्र करके ऐसी ताकत बनाएंगे जो देश पर कुदृष्टि रखने वालों को नेस्तानाबूद कर देंगी. उनका एकात्म सिद्धांत समाज के अंदर रहन- सहन भिन्न होने के बाद भी समाज को जोड़ता है. उन्होंने कहा था कि वर्ण व्यवस्था स्थायी नहीं है. एक दूसरे में सामन्जस्य बिठाना ही एकात्म मानव दर्शन है.

राज्यपाल ने कहा कि देश को आंतरिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सुदृढ़ बनाना होगा. हम सबल होंगे, तभी देश को सुरक्षित कर पाएंगे. अब सीमा सुरक्षा को लेकर काफी काम हुआ है. लंबे समय से इसकी उपेक्षा की गई. सोच की विकृति के कारण पहले यह नहीं हो पाया था. सन् 1974 में पोकरण से दुनिया को संदेश दिया था कि भारत भी परमाणु बम बना रहा है. आज दुनिया को लगने लगा है कि हिन्दुस्थान आधुनिक हथियारों से किसी भी ताकतवर देश का मुकाबला कर सकता है. आज देश का नेतृत्व सक्षम है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने कहा कि दीनदयाल जी की यह 52वीं पुण्यतिथि है. उनकी हत्या भी 52 वर्ष की आयु में विचारों पर दृढ़ रहने के कारण हुई थी. वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. दीनदयाल उपाध्याय अभाव के कांटों में पलकर दुर्भाग्य के थपेड़ों में पड़कर आगे बढ़ने वाले विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. पंडित दीनदयाल सत्यव्रती जीवन जीने वाले थे. हर विषय को मानवीय दृष्टिकोण से देखते थे. उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं. वे कहते थे कि देश में कोई अल्पसंख्यक नहीं है. सभी इस शरीर के अंग हैं.

राष्ट्र की चिंता करने वाले देश में बहुत कम राजनीतिक दल हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से एक बाह्य और दूसरा आंतरिक, स्तर पर सोचने की आवश्यकता है. बाह्य संकट से लड़ने के लिये सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई करनी पड़ती है. सेना के आधुनिकीकरण की बहुत आवश्यकता है. केवल सैनिक शक्ति से ही राष्ट्रीय सुरक्षा संभव नहीं, अब तकनीकी बदल गई है. उन्होंने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि हमारे देश के कुछ लोग अराजकता फैला रहे हैं. इनसे समाज, सेना, शासन और प्रसार माध्यमों को मिलकर लड़ना होगा. राष्ट्र भाव को बढ़ावा देने के लिए इससे जुड़े विषयों को भी पाठ्क्रम में शामिल करना होगा.

राज्यपाल कलराज मिश्र और क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने स्मारक स्थल पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने पंडित उपाध्याय की चित्रदीर्घा और संस्कार सृष्टि का भी अवलोकन किया. कार्यक्रम से पहले हिमाचल, दिल्ली, आगरा और जींद विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार दर्शन पर काम करने वाले प्रतिनिधियों की बैठक हुई. समारोह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर शोध एवं लेखन करने वाले लेखकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम को सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल विशंभर सिंह, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डॉ. एसएस अग्रवाल, स्मृति समारोह समिति के अध्यक्ष डॉ. मोहनलाल छीपा, ओंकार सिंह लखावत ने भी संबोधित किया.

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