इंदौर (विसंकें). चित्र भारती राष्ट्रीय फिल्मोत्सव का शुभारंभ 26 फरवरी को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान, निर्माता निर्देशक, पटकथा लेखक व अभिनेता विवेक अग्निहोत्री, अभिनेता चाणक्य फेम मनोज जोशी एवं संस्कृत फिल्म के निर्देशक विनोद जी मानकर (मलयाली फिल्म निर्देशक) ने किया. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय तक्षशिला प्रांगण के मुख्य सभागार में फिल्म प्रेमी दर्शक अभिनेता कला प्रेमियों की उपस्थिति में फिल्मोत्सव का शुभारंभ शाम 7 बजे हुआ.
इस शुभारम्भ अवसर पर संस्कृत भाषा में बनी विश्व में काफी सराही गयी फिल्म “प्रियमानसम” का प्रदर्शन किया गया, जिसे दर्शकों की काफी सराहना मिली. इस फिल्म का निर्देशन सुप्रसिद्ध निर्देशक विनोद जी मानकर ने किया है. 26 से 28 फरवरी तक चलने वाले राष्ट्रीय फिल्मोत्सव के पहले दिन दिखाई गई विभिन्न श्रेणी की फिल्में निम्नवत हैं –
लघु फिल्म – मुस्तकबिल, द फुट, वैशाली, अंकल आंटी, वाह निर्भया वाह, केयर
वृत्तचित्र – गायत्री रेंज ऑफ होप, उड़ान, द लास्ट रीवर, ईश्वर, रीवर वाटर कंजर्वेशन & वाटर मैनेजमेंट
एनीमेशन & कैंपस श्रेणी – द रियल हीरोज सेल्यूटिंग इंडियन सोल्जर्स, एक सोच सुरक्षा की ओर, स्लीपिंग जस्टिस, द शाइनर एवं स्मृति सहित अन्य सामाजिक सरोकार से जुडी फिल्में दिखाई गयी
आज के दिन की विशेष झलकियों में ओपन सेशन फोरम (मुक्त चर्चा मंच) हुआ, जिसमें 2 बार के राष्ट्रीय विजेता एवं 7 बार के प्रादेशिक अवार्ड विजेता विनोद जी मानकर ने युवा फिल्म निर्देशकों की जिज्ञासा एवं प्रश्नों का जवाब दिया. मानकर जी ने अवगत कराया कि अब तक उन्होंने 666 डॉक्यूमेंट्री बनायीं है तथा मानकर जी द्वारा 22 वर्ष बाद भारत में संस्कृत फिल्म प्रियमानसम जैसी फिल्म का निर्माण किया, जो उल्लेखनीय है.
मनोज जोशी जी ने कहा कि देश के ज्वलंत मुद्दों पर फिल्में बनानी चाहिएं, युवाओं को इसकी प्रेरणा यह फिल्मोत्सव देता है. मुझे लोग चाणक्य के रूप में जानते हैं. यह कला ही है, जिसके कारण मुझे यह सौभाग्य मिला, देश में संस्कृत को बढ़ावा देना चाहिए. जर्मनी, अमेरिका में अध्ययन होने लगा है, परन्तु हमारे देश में ही इसकी महत्ता लोग नहीं समझते.
निर्माता निर्देशक और पटकथा लेखक विवेक जी अग्निहोत्री ने कहा कि आजकल की फिल्मों में से कॉमन मेन (आम आदमी ) गायब हो गया है, और फिल्मों का आम आदमी रहता भी है तो लंदन में या अमेरिका में. किसी भी देश की 5 फिल्में आप देखिये, आपको उस देश की संस्कृति, रहन-सहन की जानकारी हो जाएगी, परन्तु यदि भारत की फिल्में देखें तो हमें अमेरिका और लंदन के बारे में जानने को मिलेगा. यदि मध्य प्रदेश में कॉमन मेन का परिदृश्य का मंचन किसी फिल्म में किया जाए और यहां फिल्में गंभीर सामाजिक विषय पर बनें तो मैं और हम सभी तन-मन-धन से समर्पित हैं.
संस्कृत फिल्म प्रियमानसम के निर्देशक विनोद जी मंकरा ने कहा कि उनकी फिल्म कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में दिखाई एवं सराही जा चुकी है. उनकी फिल्म अब तक की तीसरी संस्कृत फिल्म है. उनसे हमेशा पूछा जाता है कि मैंने संस्कृत में फिल्म क्यों बनाई. मैं कहता हूं कि मैं कालिदास एवं जयदेव के काव्यों से प्रेरित हूं, संस्कृत एक बहुत ही मधुर भाषा है.
मुख्यमंत्री शिवराज जी चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश आज देश ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व में कृषि विकास दर में अग्रणी है. आह्वान किया कि फिल्में बनाने के लिए आप यहां आएं, हम आपको सारी सुविधाएं देंगे. कार्यक्रम का तकनीकी पक्ष विस्तार से राकेश जी मित्तल ने दिया. मंच संचालन चित्रभारती फिल्मोत्सव के सह संयोजक महेश जी तिवारी ने किया और आभार सह समनवयक अमित जी जैन ने किया.