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केरल में जारी हिंसा से लोकतंत्र का गला घोंट रहे वामपंथी – श्रीनिवास जी

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शिमला (विसंकें). अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास जी ने कहा कि केरल में लगातार हो रही राजनीतिक हिंसा से लोकतंत्र की हत्या हो रही है. केरल के वामपंथी अब तक 200 से अधिक लोगों को जिंदगियों की बलि ले चुके है और यह सारा खेल राजनीतिक संरक्षण में हो रहा है. श्रीनिवास जी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एबीवीपी द्वारा आयोजित संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे. सोमवार को विश्वविद्यालय के सभागार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने केरल सरकार द्वारा पोषित वामपंथी आतंक विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक आई.डी. भंडारी जी ने की.

श्रीनिवास जी ने कहा कि केरल प्रदेश आज क्रूरतम हत्याओं के लिए जाना जाता है जो वामपंथी सरकार द्वारा पोषित हैं. आरएसएस के कार्यकर्ता राजेश की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि उसकी हत्या की नृशंसता ने सारी मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया. कार्यकर्ता के वामपंथी आतंकियों ने 69 टुकड़े कर दिये. इतना ही नहीं, इसके शव के टुकड़ों को इसके मासूम बच्चे के पास फैंक दिया जो क्रूरता की पराकाष्ठा है. आज केरल में हिंसा का खुला खेल चल रहा है, जिसमें वामपंथी दलित महिलाओं और पिछड़ों को भी अपना शिकार बना रहे हैं. यहां उनकी विचारधारा में दलित और महिलाओं तथा पिछड़ों के लिए कोई स्थान नहीं है, जबकि देश के अन्य स्थानों पर दलित समर्थक होने का दावा करते हैं. उन्होंने प्रदेश विश्वविद्यालय का भी जिक्र करते हुए कहा कि यहां देवभूमि में भी वामपंथी विचारधारा रक्तरंजित इतिहास रच रही है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी को इनकी हिंसावादी विचारधारा को पहचानने की जरूरत है.

कार्यक्रम अध्यक्ष आई.डी. भंडारी जी ने कहा कि भारत में केरल में ही पहली बार वामपंथी सत्ता में आये और तभी से उनका झगड़ा आरएसएस विचारधारा से रहा है. विचारधारा से मतभेद होना लोकतंत्र में सामान्य बात है, पर दूसरी विचारधारा को टिकने ही नहीं देना लोकतांत्रिक मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है. केरल में हिंसा के खूनी खेल के बारे में बताते हुए कहा कि 1969 में केरल में पहली हत्या हुई और इसके बाद लगातार हिंसा का दौर थमा नहीं है. आजतक केरल में 400 से अधिक राजनीतिक हत्यायें हो चुकी है. कन्नूर मॉडल को वामपंथी आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं जो किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए सही नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है.

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