गुरू पुत्रों की याद में तथा नई पीढ़ी, स्वयंसेवकों को गुरु पुत्रों के बलिदान से परिचित करवाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हरियाणा प्रांत द्वारा बाल शारीरिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. प्रतियोगिताओं के माध्यम से वीरता, बलिदान और त्याग की संजीवनी स्वयंसेवकों को दी गई. गुरू गोबिंद सिंह के साहिबजादों की याद में स्वयंसेवकों को वीरता और बलिदान की जानकारी प्रांत बाल कार्य प्रमुख एवं संघ के वरिष्ठ प्रचारक भूषण कुमार ने अंबाला में आयोजित शारीरिक प्रतियोगिता में दी. स्वयंसेवकों ने त्याग की प्रतिमूर्तियों को नमन कर समाज की उन्नति का संकल्प लिया.
भूषण कुमार ने कहा कि भारत माता की रत्नगर्भा माटी से महापुरूष व वीर योद्धा जन्म लेते हैं. जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कर्तृव्य से न सिर्फ स्वयं को प्रतिष्ठित किया, बल्कि उनके अवतरण से सम्रग विश्व मानवता धन्य हुई है. इन्हीं संतपुरूषों, गुरूओं एवं महामनीषियों की श्रृंखला में एक महापुरूष हैं – गुरू गोबिंद सिंह. दुनिया के महान तपस्वी, महान कवि, महान योद्धा, महान संत आदि के रूप में पहचान है. जिन्होंने कर्तृत्ववाद का संदेश देकर दूसरों के भरोसे जीने वालों को स्वयं महल की नींव खोद ऊंचाई देने की बात सिखाई. गुरू गोबिंद सिंह जी ने मुगलों की सेना से भिड़ने को त्याग, तपस्या, साधना, संगठन व अस्त्र-शस्त्र सभी क्षेत्रों में सिक्खों के आत्मबल को जगाया. जहां पहले के गुरू भक्ति पद्धति में भक्ति की आराधना को समन्वित करते थे, वहीं गुरू गोबिंद सिंह जी ने स्वयं तलवार धारण की. शत्रु के राज्य में शक्ति की उपासना अनिवार्य है, यह उनका मत था.
उन्होंने स्वयंसेवकों को कहानी के माध्यम से बताया कि गुरू गोबिंद सिंह जी ने युद्ध को धर्म से समन्वित किया था और उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझारू सिंह मुगलों से लोहा लेते हुए बलिदान हुए. दो पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह को सरहिंद के सूबेदार वजीर खान ने इस्लाम स्वीकार न करने पर दीवार में चिनवा दिया था. चार-चार पुत्रों को खोकर भी गुरू गोबिंद सिंह जी ने वीरता और त्याग का परिचय देते हुए यही कहा कि चार मरे तो क्या हुआ, जीवित कई हजार.
सह प्रांत कार्यवाह प्रताप जी ने हिसार में आयोजित बाल शारीरिक प्रतियोगिता कार्यक्रम में कहा कि बाल स्वयंसेवकों में देश सेवा की भावना से लेकर समाज सेवा के हौसले को बुलंद करने के साथ साहसिकता को बढ़ाना प्रतियोगिता का उद्देश्य था. संघ में बाल्यावस्था से ही बाल स्वयंसेवकों को देश रक्षा व समाज सेवा का पाठ पढ़ाया जाता है. इसी कड़ी में शारीरिक प्रतियोगिता का आयोजन प्रांत भर में किया गया.
बलिदान दिवस पर आयोजित बाल शारीरिक प्रतियोगिता में स्वयंसेवकों ने पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया.
बाल स्वयंसेवकों ने प्रतियोगिताओं में दमखम दिखाने के साथ-साथ करतब भी दिखाए. रीले दौड़, सौ मीटर दौड़, आठ सौ मीटर दौड़, बाधा दौड़, लंबी दौड़, मंडल खो व लक्ष्य भेद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. प्रतियोगिता में प्रांत के 57 नगरों व 27 खंडों के 5636 विद्यार्थियों ने भाग लिया. प्रतियोगिता में कक्षा एक से पांच तक के 1430 शिशु विद्यार्थियों ने भी भाग लिया.