भोपाल. परिस्थितियां कैसी भी हों, लेकिन उन्हें अवसर में बदला जा सकता है. बस जरूरत होती है तो कुछ लोगों के जुनून की. इसका एक उदाहरण देखने को मिला, भोपाल के भदभदा रोड स्थित जनजाति बहुल गांव केकड़िया में. जब एक तरफ पूरा देश लॉकडाउन और पलायन की स्थिति से जूझ रहा था, लोगों के पास रोजगार नहीं था, तब इस गांव के कुछ लोगों ने अपने ही गांव में रोजगार का सृजन कर लिया.
लॉकडाउन के बाद गांव के 200 परिवारों पर रोजगार का संकट आ गया था, यह लोग दो वक्त की रोटी के लिए भी परेशान होने लगे थे. ऐसे में इसी गांव के एक शिक्षित और जागरूक युवा की पहल पर ना केवल लोगों को रोजगार मिला, बल्कि गांव का 30 साल पुराना जल स्रोत फिर से जिंदा हो गया.
केकड़िया गांव में एक कुआं 30 साल से सूखा पड़ा था. लेकिन जब गांव में एनएलआईयू में पढ़ने वाले मुकेश कुमार आए तो उन्होंने ग्रामीणों की मदद से इस कुएं का जीर्णोद्धार करने का संकल्प लिया और ग्रामीणों की मदद से इस संकल्प को पूरा भी कर लिया.
जानकारी के अनुसार केकड़िया गांव में गर्मी के दिनों में जल संकट खड़ा हो जाता है. ऐसी स्थिति में अपने गांव को जल संकट से बचाने के लिए मुकेश कुमार ने गांव के ही लोगों से चंदा इकट्ठा करके इस कुएं को फिर से खोदने का कार्य शुरू किया. कार्य के लिए उन्होंने गांव के ही लोगों को मजदूरी पर लगाया और प्रतिदिन 250 रुपए की मजदूरी इन ग्रामीणों को दी. यही नहीं यह मजदूरी गांव के अधिकतर लोगों को मिल सके, इसके लिए मुकेश द्वारा एक रोटेशन प्लान बनाया, जिससे गांव के अधिकतर लोगों को रोजगार मिला.
15 दिन बाद निकल आया कुएं में पानी
ग्रामीणों द्वारा कुएं को खोदने का कार्य मई में किया गया था और लगभग 15 दिन बाद 35 फीट तक खुदाई हो जाने के बाद कुएं में पानी निकल आया. यही नहीं ग्रामीण अब 10 फीट तक और खुदाई करेंगे ताकि कितनी ही भीषण गर्मी में पानी की किल्लत ना हो.