करंट टॉपिक्स

चुनौती को अवसर में बदलेगा भारतीय सामान, हमारा अभिमान

Spread the love

स्वदेशी अपनाने और चीनी माल के बहिष्कार के लिए व्यापक अभियान

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने तैयार की 3000 चीनी वस्तुओं की सूची

कोरोना महामारी के संकट को अवसर में बदलने का माहौल दिखने लगा है. चीन की ग्लोबल टाईम्स में छपी भारतीयों की चीनी माल को न छोड़ पाने की चुनौती ने भी आग में घी का काम किया है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का एक राष्ट्रीय अभियान भी छेड़ दिया है. अभियान में 2021 तक चीन में निर्मित वस्तुओं के भारत में आयात को 1 लाख करोड़ कम करने का लक्ष्य तय किया गया है. कैट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को सफल बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण पहल है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतीया एवं राष्ट्रीय महासचिव खंडेलवाल का कहना है कि प्रधानमंत्री के ‘लोकल पर वोकल‘ के सशक्त आह्वान पर जबरदस्त समर्थन मिलने से चीन में चिंता का माहौल है. जिसके चलते अखबार ने ऐसी टिप्पणी की है. देश के नागरिक और व्यापारी इस चुनौती से अच्छी तरह निपटने में सक्षम हैं. अकेले चीन से आयात होने वाली 3000 ऐसी वस्तुओं की सूची तैयार की गयी है जो भारत में ही बनने से आयात नहीं होंगी. चीन से भारत में मौटे तौर पर चार प्रकार की वस्तुएं आयात होती हैं, जिनमें तैयार माल, कच्चा माल, स्पेयर पा‌र्ट्स तथा तकनीकी उत्पाद शामिल हैं. कैट ने पहले चरण में चीन से आयात होने वाले तैयार माल की वस्तुओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से उपभोक्ता भावना में आया बदलाव

सीएआईटी के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि सरकार के ‘मेक इन इंडिया‘ मिशन को मजबूत करने के लिए हम पिछले कई साल से समय-समय पर चीनी उत्पादों के बहिष्कार का अभियान चलाते आए हैं. 2017 -18 में चीन से भारत का आयात 76 बिलियन डॉलर था जो अब घटकर 70 बिलियन डॉलर हो गया है. इसमें 6 बिलियन डॉलर की कमी स्वदेशी वस्तुओं के प्रति लोगों की भावनाओं को प्रदर्शित करती है. छोटे व्यापारियों के समूह कैट द्वारा स्वदेशी वस्तुओं के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है. अभियान में भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी समूह जैसे ट्रांसपोर्ट, लघु उद्योग, हॉकर्स सहित सभी स्वदेशी समूहों को जोड़ने के प्रयास तेज कर दिये हैं ताकि चीन की चुनौती को स्वीकार किया जा सके.

स्वदेशी वस्तुओं के लिए अनुकूल हो रहा माहौल

किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए कृषि अर्थव्यवस्था को पुराने कानूनों से मुक्त किया गया है. इससे किसान अब अपने उत्पाद या फसल कहीं पर भी बेच सकता है. पूर्वोतर भारत को साधन सम्पन्न क्षेत्र माना जाता है. सिक्किम ने जैविक खेती पर जो सफलता पाई है, उसे पूरे पूर्वोतर क्षेत्र में विकास के लिए प्रयास प्रारम्भ हो रहे हैं ताकि यह जैविक खेती के हब के रूप में विकसित हो सके. देश के 7 करोड़ व्यवसायी स्लोगन लिखे फेस मास्क पहन कर लोगों को स्वदेशी के बारे में जागरूक करेंगे. प्रचार को व्यापक करने के लिए स्लोगन लिखे 5 करोड़ गिलास राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में रेलवे कैटरिंग में दिया जाएगा. देशभर में भारतीय सामान हमारा अभिमान के तहत 40 हजार व्यापारिक संगठनों से जुड़े 7 करोड़ व्यापारियों ने जन जागरण अभियान शुरू किया है. उनका लक्ष्य 130 करोड़ लोगों से संपर्क साधना है. किसान, विद्यार्थी, छोटे एवं मझोले उद्यमी और सामाजिक संगठनों में स्वदेशी सामान के लिए माहौल तैयार हो रहा है.

प्रधानमंत्री का अर्थव्यवस्था को प्लग एंड प्ले मोड पर लाने का आह्वान

इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के 95वें वार्षिक सत्र संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में साहसिक सुधारों और देश में कारोबारी वातावरण की जरूरतों को देखते हुए अर्थव्यवस्था को कंमाड एंड कंट्रोल से निकाल कर प्लग एंड प्ले मोड पर लाने का समय है. पर्यावरण, आजीविका और उद्योग के सम्बन्ध को पीपल, प्लेनेट और प्रॉफिट व्यापार का संतुलन साधने की बात की. भारतीय कंपनियों को सौर उपकरण बनाने और सौर बैटरी स्टोरेज के लिए शोध एवं विकास का सुझाव दिया. उन्होंने कोलकाता के जूट बैग और अन्य स्वदेशी सामानों मे निवेश के लिए आगे आने की आवश्यकता जतायी. पूर्वोत्तर भारत में उन्होंने इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के कार्यों की सराहना भी की.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *