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चौंतीस परिवार पुनः हिन्दू बने

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पटना (विसंके). व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त के बीच मुख्यमंत्री श्री जीतन राम मांझी के गृह जिला में बहुचर्चित धर्मान्तरण को धता बताते हुए 34 परिवारों ने पुनः हिन्दू धर्म अपनाया. बोध गया के डोभी के समीप अतिया गांव में 29 दिसंबर, 2014 को राजेश मांझी, रीतेश मांझी, भरत मांझी, कानू मांझी, संगीत मांझी, रविन्द्र मांझी, मु. गिरिजा मांझी समेत 34 परिवार के लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाया. 25 दिसंबर को कुछ परिवारों ने क्रिसमस के दिन अपना हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था. इस घटना की काफी चर्चा हुई थी.

इनलोगों ने स्वेच्छा से हिन्दू धर्म अपनाते हुए कहा कि भूलवश तथा लोभवश वे ईसाई बन गये थे. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है, बल्कि उन्हें यह बताया गया था कि यह भी वही धर्म है. इन लोगों ने यह भी बात कही कि इन्हें नौकरी एवं शराब की लत छुड़ाने की बात कही गई थी. अतिया गांव में हवन का कार्यक्रम रखा गया था, जिसमें इन लोगों ने हवन कर पुनः हिन्दू धर्म स्वीकार किया.

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए विभाग संगठन मंत्री विनोद जी ने बताया कि 25 दिसंबर को जब घटना की जानकारी हुई तो विहिप का शिष्टमंडल इन परिवारों से मिला. उन्होंने सबसे आग्रह किया कि वे लोग चाहें तो पुनः हिन्दू धर्म में आ सकते हैं. प्रेम से जो चाहे वह अपना धर्म अपना सकता है. पहली बातचीत में ही लोगों ने यह स्वीकार कर लिया कि उन्होंने भूलवश धर्म बदल लिया है.

मीडिया में कई अफवाहें चलती रहीं, लेकिन अतिया, पररिया समेत कई गांव के लोगों ने  हवन कार्यक्रम में शामिल होकर अपना हिन्दू धर्म पुनः अंगीकार किया. वहां एकल विद्यालय भी आज से प्रारंभ किया गया. आस-पास के तीस गांवों में पहले से एकल विद्यालय विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा चलाये जा रहे हैं. हवन के बाद कालू मांझी ने भावुक होते हुए कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे गांव में एक भी मंदिर नहीं है. कालू मांझी ने अपनी जमीन देने का प्रस्ताव भी किया. अब वहां शीघ्र ही हनुमान जी का मंदिर बनाया जायेगा.

ज्ञात हो कि 2007 से इस इलाके में धर्मांतरण का कार्य ईसाई मिशनरियां कर रही हैं. अब तक 56 परिवारों का धर्मांतरण ईसाई मिशनरियों ने किया. इस वर्ष 25 दिसंबर को एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर कई परिवारों का धर्मांतरण कराया गया था. उक्त धर्मांतरण के बाद विहिप ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यह परावर्तन का कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें उसे काफी हद तक सफलता मिली.

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