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जरूरतमंदों के उत्थान के लिये आगे आए समाज – निम्बाराम जी

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जयपुर (विसंकें). सेवा भारती जयपुर महानगर का वार्षिकोत्सव रविवार को मालवीय नगर स्थित पाथेय भवन के नारद ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ. इसमें सेवा बस्तियों के बालक-बालिकाओं ने कविता, एकल गीत, सामूहिक नृत्य, देशभक्ति गीतों व भगवद् गीता के श्लोक की प्रस्तुति दी.

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम जी ने कहा कि हम देश को भारत माता के रूप में मानते हैं. प्रकृति हमें अन्न, जल, प्राणवायु आदि सब कुछ देती है, इसलिए धरती को हम मां कहते हैं. देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें…… गीत से हममें देश सेवा का भाव जागृत होता है.

उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताहभर से पाक प्रधानमंत्री विदेशों में संघ का खूब प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. इस बारे में सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने भी कहा कि भारत का जो विचार है, वही संघ का विचार है. संघ व भारत का विचार एक ही है. संघ का अपना अलग कोई विचार नहीं है. ऐसे में समाज व संघ एकाकार हो रहे हैं. समाज में अनेकों दीन-हीन पिछड़े बंधु आज भी अभावों का जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं. ऐसे में स्वयंसेवकों द्वारा समाज के उपेक्षित व पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए सेवा भारती का शुभारंभ किया गया था. जिसके देशभर में आज लाखों की संख्या में प्रकल्प चल रहे हैं. यहां तक की गाडिया लुहारों के लिए भी प्रकल्प शुरू किए गए हैं. जहां अभाव है, वहां सेवा कार्य करने चाहिए. अंत्योदय भाव से अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों को भी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए. सेवा भारती से लाभ लेने बाद हम स्वावलंबी बनें, किसी पर आश्रित नहीं रहें. कमजोर को ऊपर उठाना व सक्षम व्यक्ति थोड़ा झुककर गरीब बंधुओं को साथ लेकर चले तो समाज में समानता व समरसता का भाव देखने को मिलेगा.

निम्बाराम जी ने कहा कि यह देश हमारा है इसलिए हमारा कर्तव्य है कि समाज के उपेक्षित वर्ग को सक्षम बनाने का काम करें. समाज के सभी वर्ग के पिछड़े लोगों के लिए कुछ काम करें, सेवा कार्यों से बस्ती में परिवर्तन आना चाहिए. समरस, एकरस, संगठित समाज बनाने में समाज के सभी बंधु आगे आएंगे तो परिवर्तन देखने को मिलेगा.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत आईएएस बीएल गुप्ता ने कहा कि सेवा भारती अपने संस्कार केन्द्रों व सेवा प्रकल्पों के माध्यम से बालकों को देशभक्ति सीखा रही है, जिसका आजकल के बच्चों में अभाव होता है. वंचित पीड़ित असहाय लोगों की सेवा करना सेवा भारती का मुख्य ध्येय है. मैकाले शिक्षा पद्धति ने हमारे देश की शिक्षा का ढर्रा बिगाड़ दिया. ऐसे में संस्कारयुक्त शिक्षा देने के लिए सेवा भारती के कार्यों से अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए.

कार्यक्रम के अध्यक्ष गोकुलचंद गोयल ने कहा कि आज भी अनेकों लोग सुविधाओं के अभाव में दयनीय स्थिति में रह रहे हैं. उनके बालकों को शिक्षा-संस्कार नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में हमें समाज में परिवर्तन का काम करना होगा. समाज में संस्कार लाने के लिए काम करना होगा. उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारी मातृभाषा है. बच्चों को अंग्रेजी नहीं, हिन्दी व संस्कृत सिखाएं, तभी उनमें संस्कार प्रसारित हो सकते हैं.

सेवा भारती के मंत्री जगतनारायण सक्सेना ने कहा कि सेवा भारती देशभर में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन व समरसता के लिए कार्य कर रहा है. महानगर के भाग 2 में सेवा के 53 प्रकल्प चल रहे हैं. इन प्रकल्पों के माध्यम से समाज के पिछड़े व अभावग्रस्त लोगों के जीवन में बदलाव देखने को मिल रहा है.

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