नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर राज्य के चर्चित कठुआ के कथित रेप और मर्डर केस पर फैक्ट फांइडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी को सौंपी. रिपोर्ट में टीम ने चार्जशीट और वास्तविक स्थिति की तुलना करते हुए कई खामियां पेश की हैं.
टीम ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए. पांच सदस्यों की टीम में सेवानिवृत्त जिला जज नागपुर मीरा खाड़केकर जी, सुप्रीमकोर्ट की एडवोकेट मोनिका अरोड़ा जी, वरिष्ठ पत्रकार सर्जना जी, दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर सोनाली चितलकर जी, सोशल एक्टिविस्ट मोनिका अग्रवाल जी शामिल थीं. फैक्ट फाइंडिंग टीम ने 23 अप्रैल से 26 अप्रैल तक जम्मू, कठुआ और रसाना गांव का दौरा किया, लगभग 20 से 25 लोगों से बात की और मामले की सच्चाई जानने की कोशिश की. टीम की रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले में बहुत से ऐसे तथ्य हैं जो चार्जशीट और जमीनी वस्तुस्थिति से अलग हैं. इस मामले में 10 दिन के अंदर तीन स्पैशल इन्वेस्टिगेटिव टीमों का गठन ही कई सवाल खड़े करता है. तीसरी एसआईटी में दो दागदार पुलिस ऑफिसर हैं – इरफान बानी पर एक हिन्दू लड़के के कस्टोडियल मर्डर और उसी की बहन से बलात्कार का मामला दर्ज है और नासिर हुसैन पर सबूत मिटाने का मामला दर्ज है.
राज्य में सभी चार्जशीट उर्दू में अदालत में पेश की जाती हैं, लेकिन इस मामले में अंग्रेजी में चालान पेश किया गया. नियम के अनुसार चार्जशीट की कॉपी सभी आरोपियों को भी दी जाती है. लेकिन इस मामले में चार्जशीट की कॉपी आरोपियों को न देकर सिलैक्टिव मीडिया को दी गई और यह प्रश्न अब तक बना हुआ है कि मृतक बच्ची का नाम, धर्म और फोटो मीडिया को किसने दिया. इसके अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी बहुत सवाल खड़े करती है. 17 जनवरी 2018 को किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में जिस तरह के जख्मों का वर्णन है वो अन्य गैंगरेप पीड़िताओं की मेडिकल रिपोर्ट से मेल नहीं खाता है.
फैक्ट फाइंडिंग टीम ने चर्चित देवस्थान का दौरा भी किया. रसाना गांव का यह देवस्थान आसपास के कई गांवों के कुल देवताओं का स्थान है. लगभग 20X35 फीट के स्थान में कोई तहखाना नहीं है. देवस्थान में तीन दरवाजे और तीन खिड़कियां हैं. खिड़कियों पर केवल ग्रिल लगी है. लकड़ी और शीशे के पल्ले भी नहीं हैं. पास से गुजरने वाला कोई भी व्यक्ति आसानी से कमरे में झांककर सब कुछ देख सकता है. जिस टेबल के नीचे बच्ची को छुपाने का दावा किया गया है वो साढ़े तीन फुट की टेबल है, जबकि बच्ची का कद चार फीट था. इस टेबल के नीचे किसी को भी छुपाना सम्भव नहीं है और इसी बीच दो बड़े त्यौहार आए, लोहड़ी और मकर संक्रांति. लोहड़ी और मकर संक्रांति को यहां लोग अपने कुल देवताओं की पूजा करने आए और एक बड़ा भंडारा हुआ. ऐसे में किसी को बेहोशी की दवा देकर भी छुपाना मुश्किल है.
रसाना गांव के लोगों ने बताया कि 16 जनवरी को दिन ढलने के बाद गांव का ट्रांसफार्मर जल गया था और पूरा गांव अंधेरे में डूबा था. गांव के एक रिटायर्ड फौजी बिशन दास शर्मा ने बताया कि 16 जनवरी की रात लगभग 2:30 बजे बुलेट मोटर साइकिल पर दो लोग कम्बल ओढ़ कर आए और गांव से ऊपर की ओर गए. लगभग आधे घंटे के बाद मोटर साइकिल गांव से वापस बाहर चली गई और अगले दिन सुबह देवस्थान के पास बच्ची का शव पाया जाता है. यह भी जांच का विषय है.
मुख्य आरोपी सांझीराम के बेटे विशाल जंगोत्रा की रसाना गांव में 12, 13, 14, 15 फरवरी की उपस्थिति भी संदेह के घेरे में है. चार्जशीट के मुताबिक विशाल जंगोत्रा अपनी परीक्षा छोड़कर विशेष रूप से बच्ची को रेप करने के लिए रसाना आया, लेकिन कॉलेज के कागजात के मुताबिक विशाल अपने कॉलेज में ही था और उसने परीक्षाएं दीं.
फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन महिलाओं के एक जागरूक संगठन ग्रुप ऑफ़ इंटैलेक्युअल एंड एकेडेमिशन ने किया. यह सशक्त महिलाओं का संगठन है और समसामयिक विषयों, गंभीर सामाजिक मुद्दों पर निरंतर काम कर रहा है और समय-समय पर गोष्ठियों और चर्चाओं का आयोजन करता है.