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दरभंगा – धमाके का कनेक्शन स्लीपर सेल से तो नहीं?

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बिहार. स्लीपर सेल के लिए कुख्यात दरभंगा में 05 जून को एक भयानक विस्फोट हुआ. विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि मोहम्मद नजीर का पक्का मकान ध्वस्त हो गया. तीन किलोमीटर की दूरी तक इस धमाके की आवाज सुनाई दी. हालांकि पहले पहल तो इसे पटाखे में हुआ विस्फोट माना जा रहा था, लेकिन इसकी तीव्रता कुछ अलग ही कहानी कहती है. लोगों का मानना है कि वास्तव में बम विस्फोट हुआ था और इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि कहीं इसका कनेक्शन स्लीपर सेल से तो नहीं?

विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के आजमनगर मोहल्ला स्थित मोहम्मद नजीर नदाफ के घर विस्फोट हुआ. विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि पूरा इलाका दहल उठा. नजीर का मकान तो ध्वस्त हुआ, साथ ही कई घरों को भी क्षति पहुंची. उसके परिवार के तीन बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. बच्चों को मलबे से निकालकर स्थानीय दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया. जख्मी बच्चों में शमशाद, शाहिल और नजराना है. शमशाद की स्थिति नाजुक बनी हुई है. घटना के बाद नजीर और उसकी पत्नी अफसान फरार हो गए. लेकिन, कुछ ही समय के बाद पुलिस ने नजीर को उसकी पत्नी और पुत्र गुलाब नदाफ के साथ पकड़ लिया. नजीर के पड़ोस में रहने वाले पीके रानी, प्रेमलाल महतो, संजीव महतो, महेश साह आदि के घर भी गिर गए. आस-पास के कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए. दूर तक कई घरों की खिड़कियों के शीशे चूर-चूर हो गये. नजीर के घर के समीप दो बड़े पेड़ भी गिर गये. पहले तो लोगों को समझ में नहीं आया कि वास्तव में हुआ क्या है ? लेकिन, थोड़ी देर में ही सच्चाई सामने आ गई. आक्रोशित लोग जब नजीर के घर के सामने पहुंचे तो वहां सुतली लपेटे कई बम मिले. केन बम में इस्तेमाल होने वाले दो प्लेट भी मिले.

इस विस्फोट को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है. यह बात सब लोग कह रहे हैं कि मोहम्मद नजीर पटाखे का कारोबारी था. वर्षों से आजमनगर मुहल्ला बारूद के ढेर पर था. मोहम्मद नजीर अवैध रूप से पाटाखों का कारोबार करता था. इस घनी आबादी वाले इलाके में कई वर्षों से यह गोरखधंधा चल रहा था. स्थानीय आवश्यकता को देखते हुए यहां अवैध रूप से पटाखे बनाए जाते थे. रियाइशी इलाके में पटाखे बनाने की छूट नहीं मिलती है. लेकिन मोहम्मद नजीर अवैध रूप से पटाखा बनाता था. प्रश्न यह है कि पटाखों से हुआ धमाका इतना तीव्र नहीं होता कि किसी का मकान ही पूरी तरह ध्वस्त हो जाए.

दरभंगा पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमार भी मानते हैं कि नजीर बिना लाइसेंस के पटाखे बेचता था. उसके घर से पटाखा बनाने का सामान भी मिला है. लेकिन विस्फोट की तीव्रता को देखते हुए प्रशासन के कान भी खड़े हैं. जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने जांच कराने के लिए एडीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बनाई है, जिसमें-सदर एसडीओ और सदर एसडीपीओ भी शामिल हैं. पुलिस यह भी जांच करेगी कि वहां पटाखा ही बनाया जा रहा था या कुछ और गतिविधियां चल रही थीं. मामले की जांच एसएफएल टीम भी करेगी.

वैसे दरभंगा का नाम आतंकवाद से जुड़ता रहा है. आतंकी गतिविधियों में दरभंगा माड्यूल जरूर शामिल रहता है. कुछ दिन पहले आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के सह संस्थापक यासिन भटकल की गिरफ्तारी हुई थी. दरभंगा मॉड्यूल को बढ़ाने में भटकल और फसी मोहम्मद की महत्वपूर्ण भूमिका रही. दरभंगा मॉड्यूल को स्लीपर सेल के साथ ही जोड़कर देखा जा सकता है. दरभंगा के युवकों को आतंकवाद से जोड़ने के लिए भटकल ने इस मॉड्यूल को विकसित किया था. इसमें युवाओं को पहले आतंकवाद की तरफ प्रेरित किया जाता है, फिर उन्हें आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण के बाद इन्हें वापस दरभंगा भेज दिया जाता था. घर पर रहते हुए भी इन्हें प्रत्येक महीने अच्छी पगार मिलती थी. आवश्यकता पड़ने पर कुछ महीने पहले इन्हें वापस बुला लिया जाता था और भारत में कोई भी आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता था.

अगर एनआईए की रिपोर्ट को देखा जाए तो भटकल ने सबसे पहले उडुपी में कुछ युवाओं के साथ अपने इत्र की दुकान पर संपर्क बनाए थे. यह वर्ष 2001 की बात है. उन लोगों को अपनी बातों में फंसाकर भटकल ने आतंकवाद के लिए प्रेरित किया. वर्ष 2002 में भटकल फसी के कहने पर दरभंगा आया था. उसके बाद वह यहां लगातार आने लगा. कटृटरपंथी एवं भगोड़े जाकिर नाइक की लिखित पुस्तकें और पोस्टर भी दरभंगा आतंक मॉड्यूल में खूब इस्तेमाल किये गए.

2010 से 2014 के बीच 14 इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी दरभंगा से गिरफ्तार किये गए थे. आश्चर्यजनक रूप से र गिरफ्तारी का संबंध दारूल किताब सुन्ना लाइब्रेरी से भी था. ऐसा कहा जाता था कि इस लाइब्रेरी से ही इंडियन मुजाहिद्दीन दरभंगा मॉड्यूल को अंजाम देता था. पटना के गांधी मैदान में नरेन्द्र मोदी ने 27 अक्तूबर, 2013 को एक रैली की थी. इस ऐतिहासिक रैली में लगातार बम धमाके हुए थे. इस आतंकी घटना को भी दरभंगा मॉड्यूल के तहसीन ने अंजाम दिया था. इंडियन मुजाहिद्दीन के लिए दरभंगा सबसे सुरक्षित स्थान था. इस मॉड्यूल में सब कुछ शामिल है; अवैध घुसपैठिए, वोट बैंक पॉलिटिक्स और सांप्रदायिक तनाव. पुणे और उत्तर प्रदेश में जब भटकल का मॉड्यूल फेल कर गया, तब उसने दरभंगा मॉड्यूल पर ही विश्वास किया.

हकीकत में दरभंगा आतंकवाद के लिए नई फसल उपलब्ध कराता है. यह स्लीपर सेल के लिए जाना जाता है. हालांकि वोट बैंक पॉलिटिक्स के कारण कोई भी इस पर खुलकर बोलने से परहेज करता है. ऐसे में नजीर के यहां हुए धमाके को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

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