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नए भारत को विश्व में सम्मान दिलवाने में अपनी भूमिका निभाए मीडिया – हितेश शंकर जी

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जालंधर (विसंकें). हिन्दी साप्ताहिक पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर जी ने कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतना नवीन भी और वर्तमान में सदियों के संघर्ष के बाद एक नया भारत उभर कर दुनिया के सामने प्रस्तुत होने को तैयार खड़ा है. इसी नए भारत को विश्व में सम्मान दिलवाने व इस प्रक्रिया को गति प्रदान करने में मीडिया अपनी महती भूमिका निभाए. हितेश जी तरनतारन में केवल कृष्ण सर्वहितकारी विद्या मंदिर में नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित नारद जयंती समारोह में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के प्रख्यात पत्रकार, मीडिया कर्मी, लेखक व विद्वान जुटे, जिन्होंने पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति, उपलब्धि एवं चुनौतियों पर चर्चा की.

मुख्य वक्ता हितेश शंकर जी ने कहा कि सदियों के संघर्ष से उठ कर भारत में पुन: अरुणोदय की लालिमा दिखाई देने लगी है. दुनिया एक तरफ हमारे युवाओं की मेधा से चकाचौंध है, वहीं हमारी प्राचीन थाती भी उसे आकर्षित कर रही है. हमारा युवा सूचना टेक्नॉलोजी, चिकित्सा विज्ञान, निर्माण, सेवा के क्षेत्र में दुनिया में धाक जमा रहा है तो दूसरी तरफ योग, आयुर्वेद, गीता जैसी हमारी प्राचीन धरोहर दुनिया में स्वीकार्य होने लगी है. नए भारत में इसरो ने 104 उपग्रह एक साथ अंतरिक्ष में स्थापित कर पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. भारतीय समाज की शक्ति का जागरण हो रहा है, समाज का हर वर्ग व्यापारी, किसान, उद्योगपति, विद्यार्थी, श्रमिक अपने-अपने स्तर पर नए भारत के निर्माण में अपना कीमती योगदान दे रहे हैं और मीडिया को भी चाहिए कि नव-राष्ट्रनिर्माण में प्रभावशाली भूमिका निभाए और दुनिया में देश को सम्मान दिलवाए.

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रभात मोंगा जी ने कहा कि प्रकृति विरोधी विकास की आंधी में दुनिया की बहुत सी सभ्यताएं अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं और अपने आप को बचाने में असहाय पा रही हैं. लेकिन भारतीय समाज अपनी प्राचीनता व आधुनिकता से आत्मसात करता हुआ आगे बढ़ रहा है. इसी विशेषता के चलते ही हमारी संस्कृति न केवल जीवित है, बल्कि प्रफुल्लित हो रही है. अपनी इसी विशेषता से नई पीढ़ी को परिचित करवाना पत्रकारिता की एक बहुत बड़ी जिम्मेवारी है. पत्रकारिता का अर्थ केवल समाचारों व जानकारियों का प्रचार-प्रसार ही नहीं, बल्कि समाज का उचित मार्गदर्शन, अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए इनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरण करना जैसा बहुआयामी व जिम्मेवारी भरा कार्य है.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता नवजोत कौर चब्बा जी ने कहा कि भारत युगों से ज्ञान का उपासक रहा है. हमारे विचारवान पूर्वजों ने समय-समय पर भारतीय विचार को न केवल विश्व में स्थापित किया, बल्कि दुनिया में जब-जब संकट आया तो उन्होंने समाधान भी प्रस्तुत किया. आज दुनिया फिर से आतंकवाद, असहिष्णुता, स्वार्थ, प्रकृति के साथ टकराव जैसी अनेक तरह की समस्याओं का सामना कर रही है. ऐसे में सबको साथ लेकर चलने वाले भारतीय दर्शन से ही इस दुनिया को सही रास्ता दिखाया जा सकता है. भारतीय दर्शन को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के समक्ष प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना, इसको लेकर दुनिया में उपजी जिज्ञासा का समाधान करना, इसमें समयानुकूल आयाम जोड़ना वर्तमान पत्रकारिता की बहुत बड़ी जिम्मेवारी है.

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