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प्रत्येक भारतीय मत सामंजस्य स्थापना की कोशिश करता है – डॉ. कृष्ण गोपाल जी

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सांस्कृतिक प्रवाह शोध पत्रिका विशेषांक भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी असंतुलन का विमोचन

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि जो भारतीय मत-संप्रदाय (कबीरपंथी-दादुपंथी-रामानंदी आदि) हैं, उनमें कोई टकराव नहीं है और उनसे कोई खतरा भी नहीं. लेकिन जो बाहर से धर्म भारत में आये, वे दूसरे धर्म-संप्रदायों को हेय व त्याज्य मानते हैं. उन्हें मिटा देना चाहते हैं, ये प्रवृत्ति खतरनाक है. दो ऐसे धर्म जिनकी जनसंख्या बढ़ने पर चिंता होती है. ऐसे ही आजादी के पश्चात इंदिरा गांधी ने भी धर्मान्तरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. अन्य मत सभी मतों का सम्मान करते हैं. प्रत्येक भारतीय मत समुदाय में सामंजस्य की स्थापना की कोशिश करता है जो ऐसा नहीं करता वो अभारतीय है.

आज हिन्दुस्तान में अधिकतम मुस्लिमों – ईसाइयों के पूर्वज हिन्दू थे, यदि इन लोगों को अपने पूर्वजों की जानकारी प्राप्त हो जाये तो वे पुनः हिन्दू धर्म के प्रति जागृत हो जाएंगे. समाज में जागरूकता की कमी के कारण भारत का निरन्तर आकार कम होता जा रहा है जैसे बांग्लादेश, नेपाल, बर्मा, अफगानिस्तान का अलग होना, कश्मीर पर पाकिस्तान और चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जा करना. इन्हीं सभी कारणों से पूरे भारत में आतंकवाद और अलगाववाद का जहर बनकर उभर रहा है. भारतीय मूल के धर्मावलम्बियों की आबादी में वृद्धि दर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि क्या किसी समुदाय की आबादी में असामान्य वृद्धि से कोई फर्क नहीं पड़ता. मुस्लिम-ईसाई जनसंख्या वृद्धि दर का यह अंतर भारत के भविष्य को प्रभावित करेगा. डॉ. कृष्ण गोपाल जी अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान जयपुर एवं मानसरोवर स्थित संस्कृति कॉलेज द्वारा संस्कृति कॉलेज सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रवाह शोध पत्रिका विशेषांक भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी असंतुलन का विमोचन किया गया.

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. डॉ. केशव बड़ाया जी ने मुख्य अतिथि, मुख्य वक्ता, एवं अध्यक्ष का राजस्थानी परंपरा के अनुसार साफा, शॉल, स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया. कार्यक्रम के प्रारंभ में सांस्कृतिक प्रवाह शोध पत्रिका विशेषांक के विमोचन समारोह के पश्चात प्रेमलता स्वर्णकार ने जनसांख्यिकी असंतुलन पर अपना शोध प्रस्तुत किया. शोध पत्रिका के संरक्षक रामप्रसाद ने धर्म जागरण समन्वय के कार्यकलापों पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने मतान्तरण पर चर्चा करते हुए अलगाववाद के प्रति चिंता व्यक्त की. साथ ही घुसपैठियों की समस्या के समाधान की कार्य योजना पर बल दिया और देश के नागरिकों से आह्वान किया कि वे आगे आएं और भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में सहयोग करें.

मुख्य अतिथि किरण माहेश्वरी जी ने देश विरोधी नारों पर चिंता व्यक्त करते हुए देश के सभी नागरिकों से अपील की कि देश के विकास, अखण्डता एवं भारत की संस्कृति को बढ़ावा देने में सहयोग दें.

सेंट विल्फ्रेड एजुकेशन सोसायटी के मानद सचिव डॉ. केशव बड़ाया जी ने कहा कि हमें सभी धर्मों का आदर करते हुए भारत की अखण्डता और एकता के प्रति जागरूक होना होगा. आज चाहे हिन्दू हों या मुस्लिम-ईसाई सभी को भाईचारे के साथ आगे आकर एक दूसरे को गले लगाकर हिन्दुत्व एवं देशप्रेम की भावना रखनी होगी.

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