मुंबई (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि समाज को शिक्षा व दिशा देने वाले पत्रकारों (मीडिया) को देखने, बोलने और लिखने को लेकर आत्मपरीक्षण करना चाहिए. पत्रकारों को अपने व्यवहार में पारदर्शिता रखनी चाहिए और नैतिकता का मापदंड अपनाना चाहिए. समाज में सकारात्मकता लाने के लिए अपने आसपास जो भी अच्छा हो रहा है, उसे प्रमुखता से स्थान देना चाहिए. हमारा वाचक या दर्शक वर्ग कम होगा, ऐसा डर मन में नहीं रखना चाहिए.
सह सरकार्यवाह जी नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे. विश्व संवाद केंद्र मुंबई (कोंकण प्रांत) के तत्वाधान में देवर्षि नारद की जयंती के अवसर पर देवर्षि नारद पत्रकारिता पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया था. समारोह में हिन्दुस्थान प्रकाशन संस्था व साप्ताहिक विवेक के रमेश पतंगे जी, दूरदर्शन की पत्रकार ज्योति आंबेकर जी, दैनिक सागर के सह संपादक भालचंद्र दिवाड़कर जी, इंडियन एक्सप्रेस की वरिष्ठ संपादक शुभांगी खापरे जी, दैनिक सामना के सह संपादक अतुल जोशी जी और टाइम्स ऑफ इंडिया के श्रीराम वेर्णेकर जी को नारद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.
दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि आज भी सकारात्मक समाचारों का दर्शक व वाचक वर्ग है. शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और न्यायाधीश की निष्पक्षतापूर्ण भूमिका पत्रकारिता में होनी चाहिए. पत्रकारों के लिए सामाजिक जिम्मेदारी आवश्यक है. उन्होंने पत्रकार नारद जयंती कार्यक्रम व पुरस्कार की परंपरा शुरु करने के लिए विश्व संवाद केंद्र का अभिनंदन किया. जब यह पुरस्कार शुरु किया गया तो सम्मिश्र प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया था, पर आज यह प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है.
उन्होंने कहा कि आवश्यक जानकारी जुटाने और उसे लोकहित के लिए प्रसारित करने का काम नारद जी ने किया था. नारदजी को आद्य पत्रकार माना जाता है. हालांकि फिल्मों व धारावाहिकों में नारद की प्रतिमा को उपहासात्मक तरीके से दिखाया गया है. नारद विश्व के सर्वश्रेष्ठ व्यक्तियों में से एक हैं. उनको आदर्श मानते हुए प्रेरणा से कार्य करना महत्वपूर्ण है. उनका मानना है कि समाचार, विचार और प्रचार पत्रकारिता के तीन अंग हैं. किसी के भी पास से कुछ नया जानने और सामने से उसका समाधान होने तक लोगों के पास जानकारी पहुंचाने का काम पत्रकारों का है. पत्रकारिता एक सामाजिक जिम्मेदारी है और उसमें राजनीति से संदर्भित जानकारी ही नहीं प्रकाशित होती है. उसमें नैसर्गिक आपत्ति, सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र, मानव जीवन से संबंधित जानकारियां प्रकाशित होती हैं. अनेक समाचार पत्रों व चैनलों द्वारा समाचारों को बनाया जाता है, अर्थ का अनर्थ किया जाता है. उथल-पुथल करने वाले समाचारों का प्रकाशन/ प्रसारण बढ़ रहा है. इस पर उन्होंने दुख व्यक्त किया. जैसे सीमा पर लड़ते हुए जवानों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वैसे ही पत्रकारों को भी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आज देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं. अनेक नकारात्मक पक्ष हैं. देश के विकास में पत्रकारों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है, इसका ध्यान रखते हुए पत्रकारों को अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए.