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प्यारे लाल बेरी जी का जीवन

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प्यारे लाल बेरी जी सन् 1946 में अमृतसर में तत्कालीन संघ प्रचारक ठाकुर राम सिंह जी के संपर्क में आने के बाद संघ के स्वयंसेवक बने. दुर्भाग्यवश 1947 में भारत का विभाजन हो गया. आप तब अमृतसर में ही संघ कार्य कर रहे थे. पाकिस्तान से भारत आने वाले लोगों के ठहरने, भोजन की व्यवस्था तथा उनको गंतव्य तक पहुंचाने के लिये बनी ‘पंजाब रक्षा समिति’ के भी सदस्य थे. अमृतसर में मुस्लिमों द्वारा पाकिस्तान जाने के समय खाली किये गये घरों में, पाकिस्तान से आने वाले हिन्दू-सिख शरणार्थीयों को बसाने का काम भी आपके जिम्मे लगा हुआ था.

सन् 1955 ई. में भारतीय मजदूर संघ शुरू हुआ. संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी जी की प्रेरणा से भारतीय मज़दूर संघ में कार्य करना आरंभ किया. सन् 1957 में पंजाब महाअंदोलन के समय 6 महीने फिरोजपुर जेल में रहे. 1960 में आपने भारतीय मजदूर संघ में प्रचारक बनाने का निर्णय लिया.

सन् 1974 में मज़दूर हितों के लिए रेलवे में बड़ी हड़ताल हुई, जिसमें आपका बहुत बड़ा सहयोग था. इसी कारण आपको चंडीगढ़ से शिमला जाते समय कालका में गिरफ्तार कर लिया गया. आपको अंबाला जेल में रखा गया. वहां पर कामरेडों द्वारा लगाए गए नारे ‘लाल किले पर लाल निशान’ के कारण आपका उनसे झगड़ा हुआ, जिस कारण जेल प्रशासन ने आपको जेल में अलग स्थान पर रखा. दो अथवा तीन महीने की जेल काटकर आप मुक्त हुए. तत्पश्चात आपने उत्तर रेलवे में भारतीय मज़दूर संघ का काम खड़ा कर दिया.

जून 1975 में इंदिरा गांधी की केन्द्र सरकार द्वारा देश में अकस्मात आपातकाल लागू किया गया. आप तब हिमाचल के भारतीय मज़दूर संघ के महामंत्री के नाते दायित्व निभा रहे थे. आपने आपातकाल के विरुद्ध लगातार मंडी, बिलासपुर, शिमला, नाहन आदि शहरों में भूमिगत रहकर पर्चे लिखकर बांटे और आपातकाल का विरोध जारी रखा. एक दिन पुलिस द्वारा शिमला में गिरफ्तार कर लिये गए. आपातकाल का पूरा समय जेल में रहे. आपके साथ शांता कुमार जी भी जेल में रहे जो बाद में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. आपातकाल खत्म होने पर भी आपको बड़े मज़दूर नेता होने के कारण रिहा नहीं किया गया. सन् 1977 में चुनाव होने के पश्चात् तथा सरकार बनने के बाद ही आपको रिहा किया गया.

1980 में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) के जिनेवा (स्विट्जरलैंड) सम्मेलन में आप भारतीय मज़दूर संघ के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए. वापसी में आप यूनान भी प्रवास पर गए. 1989 में आप पुन: अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) के फ्रांस में हुए अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय मज़दूर संघ के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए. वापसी में प्रवास के दौरान पैरिस भी जाना हुआ.

आपने 1987 ई. से 1992 ई. तक भारतीय मज़दूर संघ के राष्ट्रीय सचिव तथा क्षेत्रीय संगठन मंत्री के नाते दायित्व का निर्वहन किया. 1992 तक आप भारतीय मज़दूर संघ में सीधे दायित्व पर कार्यरत रहे. 1992 से 1997 तक आप अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) से भारतीय मज़दूर संघ के प्रतिनिधि के रूप में संवाद करते रहे.

1997 में विश्व संवाद केन्द्र पंजाब के प्रमुख बने और 1997 ई. से 2002 ई. तक विश्व संवाद केन्द्र प्रमुख का दायित्व निभाया. 2002 ई. में आपका केन्द्र अमृतसर हो गया और आपके पास ‘सेवा संस्कार’ पत्रिका के संपादक का दायित्व आया.

10 जून को प्यारे लाल जी का निधन हो गया था. 23 जून को अमृतसर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है.

 

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