जयपुर (विसंकें). गौ पर्यावरण चेतना पदयात्रा के तत्वाधान में आयोजित सप्तदिवसीय आलौकिक वैज्ञानिक अभूतपूर्व भव्य श्री गौ कृपा कथा का शुभारम्भ रविवार प्रातः विशाल शोभायात्रा के साथ हुआ. गजराज की सवारी व ऊँट की सवारी के साथ निकली 5 क्षेत्रों से प्रारंभ शोभायात्राओं का गायत्री चेतना केंद्र पर संगम हुआ. संगम पर क्षेत्रवासियों ने पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया. जगह जगह स्वागत के लिए तोरणद्वार बनाए गए और गौमाता के जयकारों के साथ हजारों की संख्या में माताएं, बहनें कलश लेकर मंगल गीत गाते हुए चल रही थीं.
शोभायात्रा शिप्रा पथ पर पुलिस थाने के पास वाले मैदान पर आ कर सम्पन्न हुई, जहाँ संत श्री ने गौमाता व बालाजी महाराज के पूजन अर्चन के साथ सभी को सांयकाल कथा में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने का आह्वान किया. यह केवल मात्र कथा नहीं, यह एक विशाल जागरूकता मिशन के साथ साथ सम्पूर्ण महानगर में गौ चेतना की अलख जगाने वाला पवित्र अनुष्ठान है.
युवा क्रांतिकारी गौभक्त संत जगदीश गोपाल महाराज जी ने कहा कि गाय को जानवर समझना हमारी सबसे बड़ी भूल है, गौमाता जानवर नहीं सम्पूर्ण भारत की जान है. गौमाता में हमारे 33 कोटि देवी देवताओं का निवास है. सोमवार को मानसरोवर के शिप्रा पथ पुलिस थाना के सामने मैदान में जारी सप्तदिवसीय गौ कृपा कथा महोत्सव के दौरान उपस्थित गौभक्तों को संबोधित कर रहे थे.
गाय देवता के समान होती है. स्वयं भगवान कृष्ण ने नंगे पांव गाय चराई थीं. उन्होंने धरती माता की महिमा का गुणगान भी किया. वे लोग सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें भारत भूमि पर जन्म मिला है. इस पावन पुनीत भारत भूमि पर मनुष्य तो क्या देवता भी जन्म लेने के लिए तरसते हैं. प्रतिदिन प्रातः 8 बजे से 10 बजे तक निःशुल्क पंचगव्य चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाएगा. मीडिया प्रभारी नीलेश भंडारी ने बताया कि प्रतिदिन सांय 7 बजे से 9.30 बजे तक होने वाली गौ कथा में आने वाले श्रद्धालु द्वार पर पंचगव्य का पान करके गोबर चन्दन का तिलक लगाकर कथा श्रवण का लाभ लेंगे.