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मुस्लिम समाज राष्ट्रप्रेम से जुड़ जाए, यह मुजफ्फर जी की इच्छा थी – इंद्रेश कुमार जी

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मुंबई (विसंकें). “हिंदुस्तानी मुस्लिम जनता समाज की मुख्य धारा में समा जाए. मुस्लिम मोहल्ले मिनी पाकिस्तान नहीं, हिंदुस्तान के नाम से पहचाने जाएं, यह मुजफ्फरजी की इच्छा थी. इस्लाम आतंकवाद का नहीं, बल्कि सलामती का धर्म है. विचारवंत लोगों को यह सोच समाज में रखनी चाहिये, ऐसी उनकी भावना थी. मुस्लिम समाज देशप्रेम से जुड़ जाए, इसलिये वे हमेशा कोशिश करते रहे. इसी उद्देश्य से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच स्थापना की गई, जिस की नींव मुजफ्फरजी ने रखी”. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार जी ने मुजफ्फर हुसैन जी को श्रद्धांजली अर्पित की.

विचारवंत, लेखक, केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, मुंबई विश्व संवाद केंद्र के उपाध्यक्ष तथा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रथम संयोजक-संस्थापक पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन जी का 13 फरवरी को देहांत हो गया था. सोमवार को अंजुमन ए इस्लाम संस्था में श्रद्धांजली सभा का आयोजन किया गया था.

इंद्रेश जी ने कहा कि मुजफ्फर हुसैन जी ने अलग अलग भाषाओं में लेखन किया. प्रकाशित, अनुवादित हुए उन लेखों का संग्रह करके विश्व संवाद केंद्र के माध्यम से पुनःप्रकाशन किया जाए. आज मुस्लिम कट्टरतावाद का प्रभाव बढ़ गया है. संघर्ष, हिंसाचार की घटनाएँ हो रही हैं. ऐसे वातावरण में मुजफ्फर जी के लेख समाज के लिये आशा की किरण बनेंगे.

कोंकण प्रांत संघचालक डॉ. सतीश मोढ जी ने श्रद्धांजली देते हुए कहा कि प्रवाह में मिलकर चलने वाले तो कई होते हैं, लेकिन मुजफ्फर जी प्रवाह के विरुद्ध दिशा में चलने वालों में से एक थे. बदलाव की अपेक्षा तो अनेक लोग करते हैं, लेकिन उसके लिये प्रत्यक्ष कृति कोई नहीं करता. मुजफ्फर जी इसके अपवाद थे. उन्होंने प्रत्यक्ष कृति करके यह कार्य किया.

इसमें मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुंबई संयोजक शकील हिंदुस्थानी, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कोंकण प्रांत संघचालक डॉ. सतीश जी मोढ, मुजफ्फर हुसैन की बेटी सीमा सय्यद, विश्व संवाद केंद्र के संपादक प्रणव भोंडे आदि उपस्थित थे.

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