नोएडा. नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता का धर्म राष्ट्र की रक्षा करना है. देश में पत्रकारिता का उदय राष्ट्र जागरण के लिए ही हुआ था. आपातकाल के दौरान आम लोगों की आवाज कुचलने की पूरी कोशिश की गई थी. उस समय के अखबारों को लिखने की आजादी नहीं थी. वे 25 जून को प्रेरणा शोध संस्थान, नोएडा में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान लखनऊ के साथ संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘आपातकाल की साहित्य सर्जना’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे.
बल्देव भाई शर्मा ने उद्घाटन सत्र में ‘आपातकाल की पत्रकारिता’ विषय पर कहा कि आज भी लोग उस आपातकाल के दौर को नहीं भूले हैं. उस समय के दर्द की कसक जाती नहीं है और जानी भी नहीं चाहिए. सरकार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए राष्ट्र को चुनौतियों में झोंक दिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उस लड़ाई में आगे था. स्वयंसेवक परिवार की परवाह किए बिना देशहित के लिए आगे आए. आज पत्रकारिता को नए कीर्तिमान स्थापित करने की आवश्यकता है.
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में प्रो. अरुण कुमार भगत जी ने कहा कि आपातकाल के दौरान प्रेस पर अंकुश लगाया गया और उसकी आवाज दबाने की कोशिश की गई. आपातकाल को लगाना गैर जरूरी था. आपातकाल में जनता के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ. विपक्ष की सारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी. 25 जून 1975 की तिथि बड़ा भयावह हो गई. डॉ. सुन्दर लाल कथूरिया जी ने कहा कि पत्रकार को निर्भीक होना चाहिए और उसे किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए. यदि आप राष्ट्रहित से विचलित हो जाते हैं तो आप पत्रकार नहीं हैं.
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में ‘आपातकाल की साहित्य सर्जना’ विषय पर डॉ. राम शरण गौड जी ने कहा कि पत्रकार प्रतिकार के लिए नहीं होना चाहिए. उसमें त्याग करने की भावना होनी चाहिए. उसे भय का त्याग कर आगे बढ़ना चाहिए. शंकर शरण झा ने कहा कि आपातकाल की सारी त्रासदी को लोगों ने झेल लिया और संविधान एक तरफ खड़ा रहा. इसी सत्र में कृपाशंकर जी ने कहा कि आपातकाल के दौरान समाचार पत्रों को बंद कर दिया गया था. उस समय कुछ लोग जेल चले गए, कुछ भूमिगत हो गए और कुछ सरकार के साथ हो गए. उस समय देश में भय का माहौल था.
कार्यक्रम के तृतीय सत्र में ‘आपातकाल – लोकतंत्र की हत्या’ विषय पर अजय मित्तल जी ने कहा कि कोर्ट ने इंदिरा जी के चुनाव को निरस्त कर दिया था. संकट इंदिरा जी पर था, लेकिन उन्होंने देश का संकट बना दिया. उन्होंने लोगों के मूलभूत अधिकारों को नष्ट कर दिया. डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि सत्ता का परिवर्तन लोगों की त्याग और तपस्या के कारण हुआ. आजादी के बारे में बहुत कुछ किताबों में मिलेगा, लेकिन आपातकाल के बारे में ज्यादा नहीं मिलेगा.
पदम जी ने कहा कि इंदिरा जी ने इस देश पर आपातकाल थोपा. कांग्रेस को इस देश से माफी मांगनी चाहिए. उनकी महत्वाकांक्षा के कारण से ही देश को आपातकाल झेलना पड़ा.
कार्यक्रम के अलग-अलग सत्रों का संचालन सुभाष सिंह, आदित्य देव त्यागी, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. अखिलेश कुमार आदि ने किया.