अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्र समुदाय से अपील करती है कि वह वामपंथी हिंसा से जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान को बचाने के लिए आगे आए. सामने आए नवीनतम वीडियो में स्पष्ट देखा गया है कि जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के लिए हिंसा में संलिप्त महिलाओं/पुरुषों की मदद की है.
वामपंथियों ने अभाविप कार्यकर्ताओं को बुरी तरह से पत्थर से मारा, जिसमें अभाविप के 25 कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए हैं. लेफ्ट के नेतृत्व वाले जेएनयूएसयू के सभी फर्जी प्रचार युक्तियों का पर्दाफाश हो गया है. क्योंकि यह पाया गया है कि कुछ व्हाट्सएप ग्रुप, कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर एबीवीपी को बदनाम करने के लिए बनाया गया है. इस तरह की सोच की हर विवेकवान नागरिक द्वारा निंदा की जानी चाहिए.
वामपंथी छात्रों ने एक अघोषित युद्ध शुरू कर दिया है. जो आम छात्र शांति से पढ़ना चाहते हैं, उन्हें वामपंथी विश्वविद्यालयों में हर तरह से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. जब वामपंथियों ने यह देखा कि आम छात्र उनके बहिष्कार के आह्वान को नहीं मान रहे हैं, तो उन्होंने आम छात्रों पर निर्दयतापूर्वक हमला कर दिया. अपने एजेंडे का प्रचार करने के लिए, वामपंथियों ने विश्वविद्यालय को बदनाम करने के लिए कुछ तस्वीरें और स्क्रीनशॉट साझा किए, जो बाद में नकली पाए गए हैं. इस हिंसा की कड़ी निंदा करने का हम सभी नागरिकों और आम छात्रों से आग्रह करते हैं. लेफ्ट से जुड़े लोग पहले छात्रों पर हमला करते हैं और बाद में उन्हीं पीड़ित छात्रों को दोष देते हैं. एबीवीपी ने पहले पुलिस को बुलाया क्योंकि इस हिंसा में एबीवीपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है.
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “जेएनयू में अभाविप के कार्यकर्ताओं तथा आम छात्रों पर हमला नैतिक रूप से निंदनीय है. हम छात्रों को आतंकित करने के वामपंथी प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं. हम दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन से अपील करते हैं कि, परिसर में स्थिति को नियंत्रण में लाए तथा पीड़ित छात्रों की चिंताओं को समझकर सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करें.”