करंट टॉपिक्स

विश्व की समस्याओं के निराकरण के लिये भारतीय विचारों का प्रसार जरूरी – डॉ मोहन जी भागवत

Spread the love

Photo 01कोलकत्ता (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन जी भागवत ने कहा कि यदि सत्य का उद्घाटन भगवाकरण है तो भगवाकरण होना चाहिये. दीनानाथ बत्रा जी भ्रमित लोगों के भ्रम दूर करने तथा कुटिल लोगों के षडयंत्रों का पर्दाफाश करने का प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विश्व की तमाम समस्याओं के निराकरण के लिये भारतीय विचारों का प्रसार जरूरी है. कालांतर में सुनियोजित तरीके से लोगों के दिलो दिमाग से विचारों को मिटाने का प्रयास किया गया, हमारी प्रज्ञा नष्ट करने के लिये शिक्षा पद्धति को विकृत किया गया.

सरसंघचालक जी बुधवार 01 अप्रैल शाम को कोलकत्ता के कलामंदिर सभागार में बड़ा बाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वाधान में आयोजित डॉ हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे. सम्मान समारोह में शिक्षाविद् एवं शिक्षा बचाओ आंदोलन के प्रणेता दीनानाथ बत्रा को 26वें डॉ हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान से नवाजा गया. कुमारसभा की ओर से सरसंघचालक जी, डॉ मुरली मनोहर जोशी ने बत्रा जी को शाल, मान पत्र, व प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान कर सम्मानित किया. साथ ही शिक्षा क्षेत्र में दीनानाथ जी के कार्यों की सहराहना की.
सरसंघचालक जी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद की राजनीतिक धारा आम जनमानस को जागृत करने में सहयोग नहीं कर पाई. इसके बावजूद भारत अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के कारण टिका रहा. भारत की अनेकता में एकता वाली संस्कृति के चलते बाहर से आये पंथ संप्रदाय भी भारतीय संस्कृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके. उन्होंने कहा कि यद्यपि देश के हर नागरिक को जागृत करना संभव नहीं, लेकिन अनुकरणीय व्यक्तियों के आचरण को उन्नत कर समाज की स्थिति बेहतर की जा सकती है.

13785_944851545629026_4283938847628827753_nउन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ डॉ हेडगेवार का तत्व रूप है, भारत को उन्नत और सिरमौर बनाने के लिये डॉ हेडगेवार की प्रज्ञा का ही सहारा लेना पड़ेगा, डॉ हेडगेवार ने बीज रूप में अपने को गलाकर संघ का विशाल वटवृक्ष खड़ा किया, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय जागरण हेतु समर्पित विभिन्न संस्थाएं अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं.

सम्मान प्राप्तकर्ता दीनानाथ बत्रा जी ने कहा कि शिक्षा प्रकाश के समान है जो मनुष्य के आंतरिक गुणों को प्रस्फुटित करता है. उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये भारतीय शिक्षा पद्धति में बदलाव पर जोर दिया. कुछ सुझाव भी दिये – जिसमें शिक्षा के लिये स्वायत्त आयोग का गठन, शिक्षा व्यवस्था का दायित्व प्रशासनिक अधिकारियों के बजाय शिक्षाविदों को सौंपना, आईएएस की तर्ज पर आईईएस (एजूकेशन सर्विस) गठित करना, समाज सेवा को शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाना, शिक्षा पद्धति में प्राचीन व आधुनिक विज्ञान का समन्वय, पाठ्य पुस्तकों का समाजीकरण, राष्ट्रीयकरण, आध्यात्मीकरण करना, भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता देना शामिल है.

समारोह के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत को संज्ञा शून्य कर दिया. जिसके खतरनाक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. लोगों की जीवन शैली, रहन-सहन, खान-पान सब कुछ बदल रहा है, भारत के लोग अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने के बजाय आत्महीनता की स्थिति से गुजर रहे हैं. अपनी मान्यताओं, परंपराओं के स्थान पर बाहर से आई चीजों को तरजीह दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का व्यापक विचार ही प्रज्ञा शून्यता को दूर करने का एकमात्र उपाय है, भारत उधार लिये हुए विचारों से समृद्ध नहीं होगा, बल्कि अपने मूल विचारों, सिद्धांतों को अपनाकर ही उन्नत व महान बनेगा. समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रभात प्रकाशन के प्रबंध निदेशक प्रभात कुमार ने भी संबोधित किया. पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी ने गणमान्यजनों का स्वागत किया, व पूर्व अध्यक्ष जुगल किशोर जैथलिया ने धन्यवाद किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *