करंट टॉपिक्स

श्रेष्ठ जीवन मूल्यों से नई पीढ़ी को परिचित करवाना समय की आवश्यकता – गुणवंत सिंह कोठारी जी

Spread the love

imagesउदयपुर (विसंकें). हिन्दू आध्यात्मिक और सेवा संगम के प्रभारी गुणवंत सिंह कोठारी जी ने कहा कि ‘‘सम्पूर्ण जीव-जगत की सृष्टि परमात्मा का स्वरूप है, कण-कण में परमात्मा व्याप्त है, सबमें परमात्मा का दर्शन करना एवं इस भाव को ग्रहण करना यही भारतीय विचार है. इस प्रकार के अपने श्रेष्ठ जीवन मूल्यों से नई पीढ़ी को परिचित करवाना आज के समय की आवश्यकता है.’’ गुणवंत सिंह जी  आलोक विद्यालय में ‘हिन्दू आध्यात्मिक सेवा संगम उदयपुर -2016’ की प्रथम औपचारिक तैयारी बैठक को सम्बोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि हिन्दू आध्यात्मिक और सेवा संगम (हिन्दू स्प्रिच्युअल एण्ड सर्विस फेयर) की शुरूआत सन् 2009 में सर्वप्रथम चैन्नई में हुई थी. प्रख्यात चिन्तक एवं विचारक एस. गुरूमूर्ति के प्रयत्नों सें वर्ष 2009 में 33 सेवा संगठनों के साथ प्रथम 3 दिवसीय हिन्दू आध्यात्मिक सेवा मेला चैन्नई में हुआ. इसके बाद वर्ष 2010 में 67 संगठनों को साथ लेकर एवं वर्ष 2011 में 160 सेवा संगठनों के सहभाग के साथ यह प्रयत्न क्रमश: बढ़ते हुए वर्ष 2015 में 206 संगठनों के साथ आत्मनों मोक्षार्थ जगद् हिताय च.. के भाव के साथ भव्य स्वरूप में चैन्नई में सम्पन्न हुआ. जिसमें लाखों की संख्या में दर्शक आए. वर्ष 2015 में ही चैन्नई के बाहर प्रथम बार जयपुर में 8 से 11 अक्टूबर 2015 तक, 4 दिवसीय हिन्दू स्प्रिच्युअल एण्ड सर्विस फेयर का आयोजन हुआ. इसी क्रम में वर्ष 2016 में मुम्बई, कोलकाता, उदयपुर, रांची सहित देश भर के विभिन्न शहरों में हिन्दू फेयर आयोजित होंगे. आगामी 10-13 नवम्बर 2016 को उदयपुर में हिन्दू आध्यात्मिक सेवा संगम का आयोजन किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में समाज की सेवा करने का भाव सहज रूप से व्याप्त है, अनेक संस्थाएं, संत, मठ, मन्दिर, आश्रम अनेक सेवा के कार्य चला रहे हैं. पिछले दिनों दक्षिण में सुनामी के समय मां अमृतानन्दमयी ट्रस्ट की ओर से हजारों जरुरत मंद लोगों को घर बनवाकर दिये गये. साईं आश्रम द्वारा जनसहयोग से 800 करोड़ खर्च करके आन्ध्रप्रदेश के दो जिलों के 713 गांवों में सरकार के सहयोग के बिना मात्र 18 माह में पेयजल की समस्या का स्थायी समाधान कर दिया गया. किन्तु जैसा कि अपने समाज का स्वभाव है – दायें हाथ से दिया तो बायें हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिए, ऐसे भाव के कारण सहज समाज के सामने इसकी चर्चा नहीं आयी है.  आजादी से पूर्व तो अपने यहां यह संस्कार समाज में सहज रूप से व्याप्त था. भारत के प्रत्येक गांव-शहर में ‘धर्मादा’ के रूप में इसकी व्यवस्था एवं व्यवहार समाज में सर्वत्र दिखाई देता था. किन्तु अब आजादी के बाद कोई योग्य व्यवस्था ना होने के कारण, नई पीढ़ी में यह सेवा का संस्कार जगाकर, युगानुकूल तरीकों द्वारा अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास किया जाये यह समय की आवश्यकता है.

उदयपुर में 10-13 नवम्बर को होने वाले ‘हिन्दू आध्यात्मिक सेवा संगम-2016’ के लिए हिन्दू स्प्रिच्युअल एण्ड सर्विस फाउन्डेशन उदयपुर चैप्टर का गठन किया गया है. जिसमें विरेन्द्र डांगी अध्यक्ष, पुष्पा जी उपाध्यक्ष, हेमेन्द्र श्रीमाली सचिव, डॉ. प्रदीप कुमावत सहसचिव, महावीर चपलोत कोषाध्यक्ष एवं  सुन्दर जी कटारिया, सत्यप्रकाश जी मून्दडा, गोपाल जी कनेरिया को सदस्य बनाया गया है. बैठक में नागरिक प्रतिनिधि व कार्यकर्ता उपस्थित थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *