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सिक्खों की अपनी अलग पहचान और धर्म है – बृजभूषण सिंह बेदी

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सिक्ख धर्म और गुरूबाणी के प्रति संघ रखता है पूर्ण श्रद्धा एवं आस्था

जालन्धर (विसंकें). सिक्ख भी जैन और बौद्ध की भांति ही एक सामाजिक-धार्मिक मान्यता प्राप्त धर्म है और सिक्खों की एक अलग पहचान है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्पष्टता के साथ सिक्ख धर्म को मानता है और हमेशा से ही सिक्ख धर्म की अलग पहचान को मान्यता देता आया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजाब प्रांत के संघचालक बृजभूषण सिंह बेदी जी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ये बात कही.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रचार विभाग पंजाब द्वारा मा. बृजभूषण सिंह बेदी जी की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस विषय पर संघ का दृष्टिकोण तभी स्पष्ट हो गया था, जब 2001 में केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के तत्कालीन वाईस चेयरमैन त्रिलोचन सिंह जी और संघ के माधव गोविंद वैद्य जी के मध्य बैठक हुई थी. संघ के तत्कालीन अखिल भारतीय प्रवक्ता माधव गोविन्द वैद्य जी ने स. तरलोचन सिंह जी को लिखित रूप में देकर यह तथ्य पुष्ट किया था कि सिक्ख भी जैन और बौद्ध की भांति भारतीय मान्यता प्राप्त धर्म है.

संघचालक जी ने कहा कि यह विषय सर्वविदित होने के बावजूद भ्रामक बयानबाजी के जरिए इन दिनों इस विषय को लेकर संघ के विरुद्ध प्रचार किया जा रहा है. इसीलिए यह प्रचारित करना कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं राष्ट्रीय सिक्ख संगत सिक्खों के स्वतंत्र रूप को नहीं मानती, तथ्यों के विरुद्ध और भ्रामक है. कहा कि वह सिक्ख समाज के समक्ष इस विषय को पुन: स्पष्ट कर रहे हैं कि सिक्ख एक अलग पहचान के साथ अन्य धर्मो की तरह भारतीय मान्यता प्राप्त धर्म है और संघ की श्री गुरू ग्रंथ साहिब और गुरूबाणी के प्रति पूर्ण निष्ठा और आस्था है.

संघ गुरूबाणी के विश्वव्यापी प्रचार एवं प्रसार में सदैव सहयोगी रहा है. इसीलिए संघ अपने सभी कार्यक्रमों और शाखाओं में भी गुरुओं के प्रकाशोत्सव और सिक्ख धर्म से सम्बन्धित अन्य सभी पर्व एवं त्यौहार श्रद्धा के साथ मनाता है. गुरुओं का बलिदान व सिक्खों ने जो देश, धर्म, व मानवता के लिए किया है, उसके लिए देश व राष्ट्र ऋणी रहेगा. संघ हमेशा उनके आगे नतमस्तक है व रहेगा.

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