नई दिल्ली. आबू धाबी में चल रही इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की बैठक के पहले दिन भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में भाग लिया. ओआईसी की बैठक 02 मार्च तक चलेगी. जिसके विरोध में पाकिस्तान पहली बार OIC की बैठक में भाग नहीं ले रहा है. भारत न ही ओआईसी का सदस्य है और न ही पर्यवेक्षक.
दो दिवसीय बैठक के उद्घाटन सत्र में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपना वक्तव्य दिया. पूरी दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद अपने चरम पर है. ऐसे में सुषमा स्वराज ने इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों को भारत में धर्म की परिभाषा और उसके सनातन इतिहास का पाठ पढ़ाया. अपने भाषण में सुषमा स्वराज ने कहा कि “दुनिया में आतंकवाद और अतिवाद बहुतेरे नामों और प्रतीकों से जाना जाता है, लेकिन हरेक केस में खुद आगे बढ़ने के लिए धर्म के गलत स्वरूप का सहारा लेता है, उसका इस्तेमाल करता है. लिहाजा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है.”
सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में इस्लाम, सिख और सनातन धर्म हिंदू के उपदेशों का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी सभ्यता या धर्म के खिलाफ नहीं है. बल्कि ये मानवतावादी ताकतों और शैतानी शक्तियों के बीच का संघर्ष है.
उन्होंने आईओसी के सदस्य देश पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई की मांग की. सुषमा स्वराज ने कहा कि “इसी मानवता को बचाने के लिए हमें उन देशों को कहना होगा कि वो आतंकवाद को पनाह और पैसा देना बंद करे. उस देश में आतंक के अड्डों को हटाने और उनको फंड देने वाले जरियों को बंद करना होगा.” उन्होंने कहा आतंकवाद जीवन बर्बाद कर रहा है, क्षेत्र में असंतुलन पैदा कर रहा है, और संपूर्ण विश्व को खतरे में डाल रहा है.
ये पाकिस्तान को कड़ा संदेश था, वो भी आईओसी के मंच से. शाम को पाकिस्तान को भी एशियन देशों के प्रतिनिधि के तौर पर अपना पक्ष रखना था. लेकिन उनकी कुर्सी खाली दिखायी दी. दरअसल बिना पूछे भारत को मेहमान के तौर पर बुलाए जाने के पर पाकिस्तान नाराज है और 50 साल के इतिहास में पहली बार इस मीटिंग का बायकॉट कर रहा है.
बैठक के दौरान खाली पड़ी पाकिस्तान की कुर्सी ……….