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स्वयं सहायता समूहों की कार्यप्रणाली के प्रदर्शन के लिये ग्रामश्री मेला उत्कृष्ट पहल

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चित्रकूट. गांव व ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने का राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख का सपना ग्रामश्री मेला के रूप में साकार हुआ, जिसमें उनके मार्गदर्शन में चित्रकूट क्षेत्र के गांव व वहां बसने वाले ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के काम के प्रयास में जुटे दीनदयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों के प्रयासों की झांकियों को देखकर लोगों ने खूब सराहना की. मेले में गांव के संसाधनों से बनाये गये उत्पाद के स्टाल लगाए गये. मेले में गांव व ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने वाले संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों की झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं.

दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट द्वारा 17 अक्तूबर से 21 अक्तूबर तक पांच दिवसीय ग्रामश्री मेला का आयोजन स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के प्रदर्शन व विपणन हेतु रामदर्षन के सामने चित्रकूट में किया गया. उद्यमिता विद्यापीठ द्वारा खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार एवं दीनदयाल औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्र चित्रकूट द्वारा संचालित होने वाले विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों को परामर्श केन्द्र के माध्यम से ग्रामीण बेरोजगार नवयुवक-युवतियों को स्वरोजगार खड़ा करने हेतु परामर्श व पंजीयन किया गया. कृषक भाइयों के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवां फसल की नई तकनीक एवं बीजों के प्रयोग की प्रदर्शनी को लोगों ने खूब सराहा.

ग्रामश्री मेला का उद्घाटन धनतेरस के शुभ अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के वरिष्ठ कार्यकर्ता पद्माकर मालवीय द्वारा महापुरूषों की प्रदर्शनी के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया. संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन जी ने कहा कि विगत 23 वर्षों से दीनदयाल शोध संस्थान दीपावली अवसर पर श्रद्धालुओं के लिये किसी न किसी रूप में मेला का आयोजन करता रहा है. ग्रामश्री मेला में खासतौर पर लोगों के लिये रामायण का बड़े परदे पर प्रदर्शन विशेष महत्व रखता है.

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