मेरठ (विसंकें). मुख्य वक्ता एवं कानूनविद् डॉ. हरबंश दीक्षित जी ने कहा कि ‘‘मालवीय जी का मानना था, कि विद्या से ही सर्वांगीण विकास संभव है. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को विद्या की राजधानी बनाने वाले महामना हिन्दी, हिन्दू, हिन्दूस्तान की रक्षा के सच्चे हितेषी थे.’’
डॉ. हरबंश जी विश्व संवाद केन्द्र मुरादाबाद द्वारा पं. मदन मोहन मालवीय जी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. विश्व संवाद केन्द्र प्रत्येक माह एक पत्रकार महापुरुष की स्मृति में कार्यक्रम करता है. डॉ. हरबंश जी ने कहा कि विश्वविद्यालय बनाने के लिये मालवीय जी ने पूरे देश भर से चंदा एकत्र करवाया. शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा कार्य किया है. एक संस्मरण सुनाते हुये कहा कि महादेवी वर्मा इलाहाबाद से काशी वेद पढ़ने की इच्छा से आईं, लेकिन काशी के किसी भी ब्राह्मण ने वेद की शिक्षा नहीं दी. सभी का मत था कि वेद ब्राह्मण पुरुष को ही पढ़ाया जा सकता है, महिला को कदापि नहीं. वह महामना के पास पहुंची तो उन्होंने महादेवी को वेद की शिक्षा दिलायी. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचार प्रमुख पवन जैन ने कहा कि मालवीय जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. जब महामना लोगों की जान बचाने निकले तो 150 से अधिक लोगों को फांसी के फंदे से बचाया. हुकूमत से जूझने निकले तो सीधे वायसराय से भिडे़. राजनीति करने निकले तो तीन बार अध्यक्ष चुने गये. जब समाज सुधार के लिये निकले तो दलितों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया और जब पत्रकारिता के क्षेत्र में उतरे तो दैनिक हिन्दुस्थान, अभ्युदय एवं अंग्रेजी दैनिक लीडर का सम्पादन किया.