ईरान में हिजाब के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को 100 दिन पूरे हो गए हैं. महिलाएं अपने अधिकार को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. सरकार प्रदर्शकारियों का दमन कर रही है, फिर भी प्रदर्शनकारी अपनी जंग में डटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी महिलाओं को विश्व के विभिन्न देशों की महिलाओं का समर्थन प्राप्त हो रहा है.
ईरान में चल रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शन में महिलाएं नारे लगा रही हैं – ‘चाहे हमारी जान चली जाए, हम झुकेंगे नहीं’. महिलाओं की हिम्मत के चलते उनके समर्थन में भी लोग आ रहे हैं. हिजाब के विरोध में महिलाओं के समर्थन में मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और सेलेब्रिटी भी उतर आए हैं.
इसी बीच दमनकारियों का घिनौना चेहरा भी सामने आ रहा है. 17 अक्तूबर को प्रदर्शन के दौरान हिजाब उतारने वाली 25 वर्षीय युवती महसा को रिवॉल्यूशनरी कोर्ट की 15वीं पीठ ने 10 साल कैद की सजा सुनाई है. पीठ के प्रमुख न्यायाधीश अबोलकसेम सलावती को मानवाधिकार कार्यकर्ता ‘ईरान में फांसी का न्यायाधीश’ करार दे रहे हैं.
यह प्रदर्शन 5 साल में तीसरा सबसे लंबा प्रदर्शन है. इससे पहले 2017 के आखिर में शुरू हुआ प्रदर्शन 2018 के शुरुआत तक चला था. जबकि 2019 में महिलाओं ने आज़ादी, जिन्दगी अपनी मर्जी से जीने की मांग को लेकर देशभर में प्रदर्शन किये थे.
एक तरफ ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन में महिलाओं को समर्थन मिल रहा है, साथ ही मुस्लिम देशों सहित अन्य देशों में भी हिजाब विरोधी आंदोलन को समर्थन मिल रहा है. वहीं भारत में हिजाब के पैरोकारों की फौज खड़ी हो रही है, और हिजाब के समर्थन में तर्क दिए जा रहे हैं. महिलाओं का एक छोटा सा समूह भी है जो हिजाब को धर्म से जोड़कर हिजाब पहनने के अधिकार की मांग कर रहा है.
दिसंबर के प्रथम सप्ताह की बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों को लेकर 10 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने इन लोगों को भ्रष्टाचार और भगवान से दुश्मनी करने का दोषी पाया है. वहीं ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए 3 नाबालिगों को भी आरोपी ठहराया है.