नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा जयंती 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज इसे स्वीकृति प्रदान की. यह दिवस जनजाति समाज के स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित है, जिससे आने वाली पीढ़ियां देश के प्रति उनके बलिदान के बारे में जान सकें. संथाल, तामार, कोल, भील, खासी और मिज़ो जैसी अनेक जनजातीयों ने विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया था.
जनजातीय समुदाय के क्रांतिकारी आंदोलनों और संघर्षों को उनके अपार साहस एवं सर्वोच्च बलिदान की वजह से जाना जाता है. देश के विभिन्न क्षेत्रों में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ जनजाति समाज के आंदोलनों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा और इसने पूरे देश में भारतीयों को प्रेरित किया. हालांकि, देश के ज्यादातर लोग इन नायकों को लेकर ज्यादा जागरूक नहीं है. भारत सरकार ने देश भर में 10 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों को स्वीकृति दी है.
15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती होती है. बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की शोषण वाली नीति के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और ‘उलगुलान’ (क्रांति) का आह्वान करते हुए ब्रिटिश दमन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया.
जनजाति गौरव दिवस हर साल मनाया जाएगा और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और वीरता, आतिथ्य और राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए जनजातीयों के प्रयासों को मान्यता देगा. रांची में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया जाएगा, जहां भगवान बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी.
भारत सरकार ने जनजातीय लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के 75 साल पूरे होने का उत्सव मनाने के लिए 15 नवंबर से 22 नवंबर 2021 तक चलने वाले समारोह के आयोजन की योजना बनाई है.