करंट टॉपिक्स

#200 करोड़ टीकाकरण के मायने

Spread the love

बचपन में पिता जी की कही एक बात आज याद आयी. उन्होंने कहा था कि आवश्यक बातों के फेर में अक्सर हम महत्वपूर्ण बातें भूल जाते हैं. इसलिए ज़रूरी है कि हम बार-बार ये याद करते रहें कि हमारे लिए महत्वपूर्ण क्या है. इसी बात को यदि ख़बरों के सन्दर्भ में देखा जाए तो हमारे आसपास जो तुरंत की घटनाएं हो रही होती हैं, वे हमें इतनी घेर लेती हैं कि हम उन समाचारों की अनदेखी कर देते हैं जो हमारे लिए उनसे कहीं अधिक महत्व की होते हैं.

इन दिनों खबरों की सुर्खियों में राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति के चुनाव, महाराष्ट्र का घटनाक्रम, मानसून की बारिश, देश के कई राज्यों में बाढ़, संसद का मानसून सत्र तथा रूस-उक्रेन युद्ध आदि प्रमुखता से छाए हुए हैं. इस बीच ये खबर कहीं दब कर रह गई कि देश ने 17 जुलाई को 200 करोड़ कोरोना टीके लगाने का आंकड़ा छू लिया. शायद सबने इसे ये कहकर सामान्य सी घटना मान लिया कि ‘ये तो होना ही था.’ देश की इस बड़ी उपलब्धि की चर्चा महत्वपूर्ण होने के साथ साथ आवश्यक भी है.

याद कीजिये #कोरोना की पहली और दूसरी लहर को. जब लाखों लोग खौफजदा होकर पैदल अपने गावों के लिए निकल पड़े थे. जब अस्पताल में बिस्तर कम पड़ गए थे. बिस्तर मिल गया तो लोग ऑक्सीजन की जद्दोजहद से जूझ रहे थे. देश का कोई ही परिवार शायद ऐसा होगा, जिस पर किसी न किसी तरह कोरोना की महामारी का असर न पड़ा हो. असलियत तो ये है कि उन दिनों जब किसी के भी फोन की घंटी बजती थी तो बस मन अनिष्ट की आशंका से भर जाता था. ये कोई दूर की बात नहीं बस 18 से 20 महीनों के भीतर ही हम सबके साथ गुजरा है.

मौजूदा ख़बरों के शोर में यदि ये सब आप भूल गए हैं तो कुछ तथ्यों पर गौर करने की आवश्यकता है. कोरोना की महामारी अभी गयी नहीं है. पिछले एक हफ्ते में दुनिया भर में कोरोना के 64 लाख से ज़्यादा नए मामले दर्ज हुए है. फ़्रांस में 9 लाख 14 हज़ार, अमेरिका में 8 लाख 17 हजार, जर्मनी में 6 लाख 30 हजार, इटली में 6 लाख 71 हजार, जापान में 2 लाख 69 हजार और ऑस्ट्रेलिया में 2 लाख 63 हजार से ज्यादा नए मरीज एक हफ्ते में निकले हैं. भारत में इनके मुकाबले हफ्ते भर में कोई 1 लाख 20 हजार मामले ही आए. ये सभी देश भारत से कहीं अधिक विकसित हैं और इनकी जनसँख्या तो अपने देश से बहुत ही कम है.

उधर, चीन में पिछले दो महीने से अधिक समय से कोरोना को लेकर त्राहि त्राहि मची हुई है. शंघाई और बीजिंग जैसे शहरों को बार बार बंद करना पड़ा है. दुखी लोग कई बार सड़कों पर भी निकले हैं. चीन से सही खबरें और आंकड़े आना तो असम्भव ही है. लेकिन कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि वहां से जो भी छन छन कर खबरें मिल रहीं हैं, उनके अनुसार ‘ज़ीरो कोविड’ की नीति पर चलने वाला चीन कोरोना के नियंत्रण में बुरी तरह असफल रहा है. वहां लोगों की स्थिति ठीक नहीं है.

एक और आँकड़ा देश की कोरोना के खिलाफ अभूतपूर्व लड़ाई को अच्छी तरह रेखांकित करता है. कोरोना से हुई मौतों की दर भारत में दुनिया के औसत से कोई एक तिहाई के आसपास ही है. विश्व में प्रति 10 लाख जनसँख्या पर 819 लोगों ने कोरोना से जान गवाई है. भारत में प्रति दस लाख पर ये संख्या 373 है. अगर अन्य देशों को देखा जाए तो फ़्रांस में 10 लाख लोगों पर 2296, जर्मनी में 1690, ब्रिटेन में 2646, रूस में 2615, इटली में 2819 और स्पेन में 2373 लोगों की मौत कोरोना से हुई है. ये सब अमीर देश हैं और इनकी स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा अच्छी बताई जाती रही है.

और तो और अमेरिका जैसे देश में भी कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या 10 लाख 48 हजार से ज्यादा रही है. अमेरिका की जनसँख्या 33 करोड़ के आसपास है. इसके बनिस्बत भारत में 140 करोड़ की जनसँख्या पर कोरोना से हुई मौतों की संख्या अब तक 5 लाख 25 हजार दर्ज की गई है. यूं तो एक भी मौत दुखद है. परन्तु आप अगर तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो कोरोना से संघर्ष में हम लोगों ने दुनिया के मुकाबले कहीं बेहतर काम किया है.

200 करोड़ टीके लगाने का आँकड़ा अभी भी जारी कोरोना के साथ लड़ाई में मील का एक बड़ा पत्थर है. इसके लिए हम सबको अपनी पीठ थपथपाने की ज़रुरत है. देश के वैज्ञानिक, टीका विकसित करने और बनाने वाली प्राइवेट कम्पनियां, डॉक्टर, अन्य चिकित्सा कर्मी, आरोग्य सेतु/अन्य ऐप बनाने और चलाने वाले आईटी कर्मी, राज्यों और केंद्र सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है.

कुल मिलाकर ये सफलता है भारत के सजग समाज की, जिसने बिना हिचक दिखाए 18 महीने के भीतर इतनी तत्परता से कोरोना के देश निर्मित टीके लगवाए. जिन पढ़े लिखे और अमीर देशों का उल्लेख हमने ऊपर किया है, उनमें से कई अभी तक ‘वैक्सीन हैजिटेन्सी’ यानि टीका लगवाने में संकोच की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. और कुल मिलाकर कर इसका खामियाजा भी भुगत रहे हैं.

(वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय जी की फेसबुक वॉल से साभार)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *