करंट टॉपिक्स

मेड इन इंडिया की अपेक्षा मेड बाइ भारत उत्पादन को बढ़ाना होगा – प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा

Spread the love

‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में ‘आत्मनिर्भर भारत – प्रभावी रीति-नीति’

भोपाल. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘कुलपति संवाद’ ऑनलाइन व्याख्यानमाला में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भर होना आज के समय की आवश्यकता है. भारत को आत्मनिर्भर होने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी और आयात की तुलना में निर्यात बढ़ाना होगा. इसके लिए देश के नागरिकों को आर्थिक राष्ट्रभक्त होना होगा. हमारी खरीदारी में स्वदेशी उत्पाद प्राथमिकता में होने चाहिए. हमें ‘मेड इन इंडिया’ के भ्रम में पड़ने से बचना होगा. भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मेड बाइ भारत’ प्रोडक्ट ही खरीदने चाहिएं.

‘आत्मनिर्भर भारत – प्रभावी रीति-नीति’ विषय पर गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय, गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि विश्व उत्पादन में हमारा योगदान केवल 3 प्रतिशत है. इसमें भी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हिस्सा है, जो भारत में अपने प्रोडक्ट बना रही हैं या फिर असेम्बल कर रही हैं. मेड इन इंडिया उत्पाद से विश्व उत्पादन में भारत का दबदबा नहीं बढ़ेगा. इसलिए मेड इन इंडिया की अपेक्षा मेड बाइ भारत उत्पादन को बढ़ाना होगा. यह स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि हम मेड इन इंडिया से आत्मनिर्भर नहीं बनेंगे. इससे तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा भारत में बना रहेगा. हमें जापान जैसे अन्य देशों से सीखना चाहिए, जहाँ के नागरिकों में आर्थिक राष्ट्रभक्ति अधिक है. वहाँ के नागरिक स्वदेशी कंपनियों के उत्पाद को ही प्राथमिकता देते हैं. हम स्वदेशी उत्पाद खरीदेंगे तो उससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा, बल्कि तकनीक के विकास में भी सहयोग होगा. उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि आने वाला दशक भारत का होगा. इसलिए हम आर्थिक राष्ट्रभक्त बनें और ऐसी तकनीक का विकास करें जो भारत के लिए आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि जूते की पॉलिश से लेकर कंप्यूटर हार्डवेयर तक हम विदेशी कंपनियों के उत्पाद खरीद रहे हैं. इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तकनीक मजबूत होती है. भारत के उत्पादन पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है. स्थिति यह है कि हम डेयरी प्रोडक्ट, चॉकलेट, बिस्कट और रेडीमेड फूड भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से खरीद रहे हैं, जबकि उनको बनाया यहीं जा रहा है. हमारा ही कच्चा माल लेकर यहीं उसे फिनिशिंग देकर बहुराष्ट्रीय कंपनियां पूरा मुनाफा बाहर ले जा रही हैं.

चाइना का उत्पाद खरीद कर हम किसे लाभ पहुँचा रहे

प्रो. भगवती प्रकाश ने कहा कि चाइना का उत्पाद खरीद कर हम किसको लाभ पहुँचा रहे हैं? हम चाइना को लाखों करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता पहुँचाते हैं. जबकि वह हमारे लिए शत्रुता का भाव रखता है. आतंकवाद के मुद्दे पर कई बार वह भारत के विरुद्ध वीटो पावर का उपयोग कर चुका है. चाइना ने भारत में सस्ते उत्पादों की डंपिंग शुरू की, जिसके कारण भारतीय कंपनियों को नुकसान हुआ. सोलर क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक समय में भारत की कई कंपनियां सोलर पैनल बनाती थीं, जिनका यूरोपीय देश में निर्यात भी होता था. लेकिन, जैसे ही चाइना ने सस्ते सोलर पैनल भारत में बेचना शुरू किया, हमारी इन कंपनियों को नुकसान हुआ. ये कंपनियां बंद हो गईं और अनेक लोगों की नौकरी भी गई. सरकार को भी चाइनीज़ प्रोडक्ट पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगानी चाहिए. इससे भारतीय कंपनियों को संरक्षण प्राप्त होगा.

विदेशी व्यापार में घाटा होने से गिरती है रुपये की कीमत

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर होने के लिए आवश्यक है कि हम जितना निर्यात करते हैं, उससे कम आयात करें. हमें आयात पर अंकुश लगाने और निर्यात को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिएं. जो वस्तुएं हमें आयात करनी पड़ रही हैं, उनका उत्पादन यहीं होना चाहिए. विदेशी व्यापार में आत्मनिर्भरता नहीं होने से भी महंगाई बढ़ती है. विदेश व्यापार में घाटा होने के कारण ही रुपये की कीमत गिरती है.

साम्यवादी विचार के कारण भारतीय उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ा

साम्यवादी-समाजवादी विचार के प्रभाव में हमारी शुरुआती सरकार ने स्वतंत्रता के बाद से ही बहुत से उद्योगों की उत्पादन क्षमता वृद्धि को रोके रखा. हमने अनेक क्षेत्रों में उत्पादन शुरू करने की अनुमति नहीं दी. हमारी जो शुरुआती उद्योग नीति थी, उसने भारतीय उद्योगों को पनपने नहीं दिया. जिसके कारण हम विश्व उत्पादन में पिछड़ते गए. प्रख्यात आर्थिक इतिहासकार एंगस मेडिसन ने लिखा है कि शून्य से 1500 ईस्वी तक विश्व के उत्पादन में सबसे अधिक योगदान भारत का था. इसलिए यह भ्रम भी दूर कर लेना चाहिए कि भारत सिर्फ कृषि प्रधान देश था, बल्कि भारत उद्योग प्रधान देश था. भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर जोर देना होगा. सरकारों को भारतीय उद्योगों को संरक्षण देने और प्रोत्साहित करने वाली नीति बनानी होगी और नागरिकों को स्वदेशी उत्पाद को खरीदने का मानस बनाना होगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *