अहमदाबाद. 2008 में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में मंगलवार को अहमदाबाद की एक अदालत ने निर्णय सुनाते हुए 77 आरोपियों में से 49 को दोषी माना, जबकि 28 लोगों को निर्दोष करार दिया. लंबी सुनवाई के दौरान प्रॉसीक्यूशन ने 1100 गवाहों के बयान दर्ज किए.
इस मामले में निर्णय 2 फरवरी को आना था, लेकिन 30 जनवरी को स्पेशल कोर्ट के जज एआर पटेल कोरोना से संक्रमित हो गए, जिसके चलते फैसला टालना पड़ा. मंगलवार को न्यायालय ने निर्णय सुनाया. केस में 49 लोगों को दोषी करार दिया. वहीं 77 में से 28 आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया. स्पेशल अदालत के जज एआर पटेल ने इस मामले में निर्णय सुनाया. सिलसिलेवार बम धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
मामला 26 जुलाई 2008 का है, जब अहमदाबाद नगर पालिका क्षेत्र में एक घंटे के भीतर 21 सीरियल ब्लास्ट हुए थे. इन धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. देश में इतने कम समय में इतने धमाके पहले कभी नहीं हुए थे. एक घंटे के अंदर अहमदाबाद में 21 धमाके हुए थे. जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने अमदाबाद में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी, जबकि सूरत में 15 अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से बम बरामद किए गए थे. अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकी को मर्ज करने के बाद मुकदमा चलाया गया, क्योंकि पुलिस जांच में दावा किया गया था कि वे एक ही साजिश का हिस्सा थे.
सीरियल बम धमाकों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी आतंकियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे. गुजरात के मौजूदा DGP आशीष भाटिया के नेतृत्व में अफसरों की टीम बनाई गई.
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28 जुलाई को गुजरात पुलिस की एक टीम बनी. सिर्फ 19 दिन में 30 आतंकियों को पकड़कर जेल भेजा गया. इसके बाद बाकी आतंकी भी पकड़े गए. अहमदाबाद में हुए धमाकों से पहले इंडियन मुजाहिदीन ने जयपुर और वाराणसी में धमाकों को अंजाम दिया था.