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चीन की 60 प्रतिशत जनसंख्या कोरोना संक्रमित होने की कगार पर

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कोरोना महामारी को लगभग 2 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है, जिसके बाद जहां दुनिया के विभिन्न हिस्से पुनः अपने पुराने माहौल में लौट चुके हैं, वहीं चीन में अभी भी ‘कोरोना का आतंक’ जारी है.

चीन में कोरोना की स्थिति यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों की तरह हो चुकी है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में संक्रमित सामने आ रहे थे और अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कम पड़ चुकी थी.

चीन में स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अमेरिका स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्युएशन के वायरस विशेषज्ञों एवं शोधकर्ताओं का कहना है कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने जिस तरह से अपनी कोविड सम्बंधी नीतियों को बदला है, उसके बाद चीन में एक तिहाई से अधिक की आबादी संक्रमित हो सकती है.

कुछ अन्य वायरस विशेषज्ञों के अनुसार चीन की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कोरोना से संक्रमित हो सकती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में महामारी का यह महाविस्फोट अगले 90 दिनों में संक्रमितों की ‘सुनामी’ ला सकता है.

हाल ही में चीन के शेनयांग के एक अस्पताल का केवल 28 सेकंड का वीडियो सामने आया था, जिसमें एक के बाद एक 9 शव को दिखाया गया था. जिनकी कोरोना से मौत हो गई थी, बावजूद इसके किसी ने भी उन शवों को हटाने का प्रयास नहीं किया.

शेनयांग में अंतिम संस्कार से जुड़े लोगों से एक चीनी भाषी मीडिया समूह ने बातचीत कर एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें यह दावा किया गया कि आम जनता महामारी की चपेट में आकर अस्पतालों के आपातकालीन विभागों में दम तोड़ रही है. लेकिन उनके अंतिम संस्कार की उचित व्यवस्था करने एवं शवों को सम्मानजनक तरीके से रखने का कोई प्रबंध नहीं किया गया है.

चीनी कम्युनिस्ट सरकार और कम्युनिस्ट प्रशासन ने मरने वाले लोगों को उनकी उसी अवस्था में छोड़ दिया है, जिसके बाद अंतिम संस्कार करने वाले समूह एवं संस्थाओं से जुड़े लोग उन शवों को बाहर निकाल कर उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. यह पूरी प्रक्रिया चीनी कम्युनिस्ट प्रशासन द्वारा अपनाई जा रही अमानवीयता को प्रदर्शित करती है.

चीन की राजधानी बीजिंग में भी संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ चुकी है, जिसके बाद पूरे शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल भी खुल गई है. वर्तमान स्थिति में चीनी कम्युनिस्ट सरकार के झूठ का भी पर्दाफाश हो चुका है.

मामले को लेकर चीन की दो महिलाओं के वीडियो चीनी सोशल मीडिया में समाने आए हैं, जिसमें उनके द्वारा कहा जा रहा है कि उनके पिता कोरोना से संक्रमित हैं और अस्पताल में उन्हें जगह नहीं मिल रही है. वीडियो में यह भी बताया कि बीजिंग के अलग-अलग अस्पतालों में जाने के बाद भी उनके पिता के लिए बिस्तर नहीं मिल पाया है.

एक अन्य रिपोर्ट में चीन की वर्तमान परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि चीन के बड़े शहरों सहित छोटे शहरों में भी हालत इतने बुरे हो गए हैं कि मरीजों को अस्पतालों की जमीन पर लिटाकर उनका उपचार किया जा रहा है, जिसमें भी बड़ी संख्या में लोग मारे जा रहे हैं.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वायरस विशेषज्ञ एरिक फेईगल का कहना है कि चीन की राजधानी सहित विभिन्न शहरों में दिन-रात शवों का अंतिम संस्कार चल रहा है. मुर्दाघरों में अब लाशों को रखने के लिए स्थान भी नहीं बचा है और ना ही चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा लाशों को रखने के लिए नए फ्रीजर उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

अभी तक सामने आई रिपोर्ट के अनुसार चीन के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में महामारी ने भयानक रूप ले लिया है और जल्द ही चीन की आधी से अधिक आबादी संक्रमित हो सकती है.

हालांकि, इन सब के बीच चीन ने हमेशा की तरह वास्तविक आंकड़ों को छिपाने का कार्य किया है. एक तरफ जहां हजारों की संख्या में आम जनता संक्रमित हो रही है, और सैकड़ों में लोग मारे जा रहे हैं तो चीन की कम्युनिस्ट सरकार इसमें भी हेराफेरी कर सभी आंकड़ों को दबाने का कार्य कर रही है.

चीनी कम्युनिस्ट सरकार की अमानवीयता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जहां मरीजों एवं मरने वालों के साथ तो प्रशासन द्वारा दुर्व्यवहार किया ही जा रहा है, वहीं चिकित्सकों से भी अमानवीय व्यहवार किया जा रहा है.

एक रिपोर्ट के अनुसार महामारी की विस्फोटक स्थिति के चलते चिकित्साकर्मियों की कमी भी हो चुकी है, जिसके बाद वर्तमान में पदस्थ इन स्वास्थ्यकर्मियों को अतिरिक्त बोझ के साथ जबरन कार्य कराया जा रहा है.

चीनी कम्युनिस्ट सरकार की लापरवाही और शी जिनपिंग की राजनीतिक महत्वकांक्षा को आम जनता की जान से अधिक महत्व देने के कारण आज चीन में जो स्थिति पैदा हुई है, उससे आम चीनी जनता सर्वाधिक परेशान है.

कम्युनिस्ट सरकार ने लंबे समय से अमानवीयता दिखाते हुए आम जनता को ‘शून्य कोविड नीति’ के तहत घरों में कैद रखा था, जिसके कारण आम चीनी जनता के बीच अन्न, खान-पान, रोजगार की समस्या से लेकर मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण चीन के विभिन्न शहरों में भारी विरोध प्रदर्शन भी देखे गए.

अब ऐसी स्थिति आ चुकी है कि चीन में आम जनता बेमौत मारी जा रही है, और उनके मरने के आंकड़े चीनी कम्युनिस्ट सरकार के दस्तावेजों से भी बाहर हैं.

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