रांची. विद्या भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीराम आरावकर ने कहा कि संस्थान की ओर से संचालित स्कूलों में 65,760 मुस्लिम और 10,827 ईसाई मत को मानने वाले बच्चे पढ़ते हैं. अभी मिजोरम और दमन दीव व लक्षद्वीप दो केंद्र शासित प्रदेश को छोड़कर भारत के सभी राज्यों के 645 जिलों में विद्या भारती का कार्य फैला हुआ है. 12830 औपचारिक विद्यालय चल रहे हैं.
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाला देश का सबसे बड़ा अशासकीय संस्थान है. 25 मार्च से रांची में दूसरी बार हो रही तीन दिवसीय विद्या भारती की साधारण सभा की बैठक में नई शिक्षा नीति के परिपेक्ष्य में स्कूलों की स्थिति, कार्य के विस्तार, गुणवत्ता विकास, शिक्षकों का प्रशिक्षण, बच्चों के लिए नई तकनीक आदि विषयों पर चर्चा होगी. आरावकर जी बुधवार को रांची प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि साधारण सभा में प्रांत एवं उसके ऊपर स्तर के पूरे देश से 350 प्रतिनिधि भाग लेंगे. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी होंगी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे.
आरावकर जी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि विद्या भारती के स्कूलों में कम शुल्क लेकर बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाती है. ज्यादातर स्कूलों में 500 से 700 रुपये प्रतिमाह शुल्क के रूप में लिए जाते हैं. धनबाद के राजकमल विद्या मंदिर जैसे प्रमुख स्कूल में भी अधिकतम 1800 रुपये प्रतिमाह शुल्क है. जहां तक शिक्षकों के मानदेय की बात है तो बच्चों से प्राप्त कुल शुल्क का 90 प्रतिशत राशि मानदेय से लेकर उनके भविष्य निधि आदि पर खर्च की जाती है.
विद्या भारती का चुनावी वर्ष होने के कारण साधारण सभा की बैठक में नए अध्यक्ष का चुनाव होगा. फिर वे अपनी नई टीम की घोषणा करेंगे. जो अगले तीन वर्षों के लिए काम करेगी. वर्तमान में डी रामकृष्ण राव अध्यक्ष हैं. पत्रकार वार्ता में उत्तर पूर्व के क्षेत्र मंत्री रामअवतार नारसरिया भी उपस्थित थे.