औरंगाबाद. बलिदानियों के आंगन की मिट्टी से, भारतीयता का संदेश देने वाला स्मारक खड़ा करने के लिये औरंगाबाद के उमेश जाधव करीब दो वर्षों से देश की यात्रा कर रहे हैं. श्रीनगर से कन्याकुमारी और गुजरात से मिज़ोरम तक उन्होंने ७० हजार किमी की यात्रा की है. भारत माता के वीर सपूतों की स्मृति कायम रखने के लिये उन्होंने यह उपक्रम शुरू किया है.
बलिदानियों की स्मृति को नमन करके उनके दरवाजे की मिट्टी माथे पर लगाने वाले उमेश गोपीनाथ जाधव की यह अनोखी पहल रोमांचित करती है. तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बन के मैं खिल जावां, इतनी सी है दिल की आरजू……यह सपना देख कर देश के जवान अपने प्राणों का बलिदान देते हैं. इन बलिदानियों का भरण पोषण करने वाले घर के दरवाजे की मिट्टी जमा करने के लिये उमेश निरंतर यात्रा कर रहे है.
संगीत में रुचि रखने वाले उमेश फिलहाल बंगलुरू में रहते है. अपनी यात्रा के बारे में वे बताते हैं कि पुलवामा हमले के बारे में जानकारी मिली और लगा कि अगर इस हमले में मेरा कोई प्रिय जन होता तो मैं क्या करता? तब से ही इन वीर जवानों के लिये कुछ करना चाहता था. आज तक देश के लिये विविध युद्धों में लड़कर सर्वोच्च समर्पण देने वाले भारत माता के सपूतों की जन्मभूमि की मिट्टी जमा करने का विचार मेरे मन में आया. भारतीय सेना की स्वीकृति लेकर उमेश ने अपनी यात्रा ९ अप्रैल, २०१९ को शुरू की. बंगलुरू के सीआरपीएफ डीआईजी सानंद कमल ने फ्लॅग ऑफ कर उनकी यात्रा का शुभारंभ किया. कोरोना और लॉकडाउन के कारण यात्रा थोड़े अंतराल के लिये स्थगित हुई. अब २१ अक्तूबर से उमेश जाधव फिर से अपने इस उपक्रम के लिये निकले हैं.
७० हजार किमी की यात्रा कर बलिदानी जवानों के परिजनों से मिलकर उनके आंगन की मिट्टी एकत्रित की है. पुलवामा हमले में बलिदान हुए ४० जवानों के आंगन की मिट्टी उन्होंने सेना के सुपुर्द की है. अब अंडमान, लक्षद्वीप, लद्दाख और हिमाचल चार राज्यों की यात्रा करने के बाद ९ अप्रैल २०२१ को वे अपनी यात्रा समाप्त करेंगे.