नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि प्रमाणिकता भारत का बड़ा संबल है, स्वाधीनता के बाद लालबहादुर शास्त्री जी ने पहले केंद्रीय मंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में उसे आगे बढ़ाया. वही प्रमाणिकता आज फिर दिख रही है, जिससे भारत की धाक दुनिया में बढ़ी है. सरसंघचालक जी लालबहादुर शास्त्री तकनीकी इंटरमीडिएट कॉलेज मांडा में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न लालबहादुर शास्त्री जी व उऩकी पत्नी ललिता शास्त्री जी की श्रद्धांजलि सभा में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने ललिता शास्त्री पब्लिक स्कूल मांडा परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री व उनकी पत्नी ललिता शास्त्री की प्रतिमा का अनावरण भी किया. उन्होंने कहा कि विकास की रफ्तार पकड़ रहे भारत की सामरिक नीति अब किसी से दबने वाली नहीं है. दुनिया के सभी देशों का भारत के प्रति विश्वास बढ़ा है. इसका कारण आदिकाल से अब तक दुनिया के प्रति भारत का प्रमाणिक व्यवहार है. हम जो बोलते हैं, वो करते हैं. हमारी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है.
डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि लोग यदि शास्त्री जी की दो बातों को ही जीवन में आत्मसात कर लें तो देश में बदलाव हो जाएगा. विज्ञान कहता है कि हम जैसा सोचेंगे, वैसा ही बनेंगे. इसलिए हर व्यक्ति को खुद को लालबहादुर शास्त्री जैसा बनने का संकल्प लेना चाहिए. ज्यादा नहीं, उनकी दो बातों को एक साल में स्वयं में धारण करने का संकल्प लें, उससे बहुत कुछ बदल जाएगा. उन्होंने कहा कि शास्त्री जी के आह्वान पर देश की जनता सोमवार का उपवास रखने लगी. कई लोग उस आह्वान का मान रखते हुए आज भी उपवास करते हैं. किसी नेता के कहने का लोग इतना सम्मान करें, ऐसा कम ही देखने को मिलता है. पर, ऐसा अब देखने को मिल रहा है. एक आदमी कहता है स्वच्छता करो, योग करो और लोग लग जाते हैं.
सरसंघचालक जी ने मांडा को शास्त्री जी की कर्मभूमि होने के कारण तीर्थ स्थान की संज्ञा दी. कहा कि आज अनंत चतुर्दशी और शिक्षक दिवस है. तीर्थ लुप्त हो जाते हैं, लेकिन यहां का तीर्थ चल रहा है. आज के दिन इस तीर्थ में स्नान करने का पूरा पुण्य हमें मिलेगा. शास्त्री जी जीवन का आदर्श स्थापित करने वाले शिक्षक थे. गांव, गृहस्थी, राष्ट्र के लिये अपनी राह को नहीं छोड़ा. उनके सपने को पहले उनकी धर्मपत्नी ललिता शास्त्री जी ने पूरा किया और अब सुनील शास्त्री जी पूरा करने में लगे हुए हैं.
सरसंघचालक जी ने लोगों से गंगा को प्रदूषण मुक्त करने में सहयोग करने की अपील की. गंगा प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो गंगा मानव को तारती है, आज उसे प्रदूषण मुक्त करने की बात हो रही है. हमें गंगा की स्वच्छता के लिये समग्र प्रयास करना होगा. उन्होंने लोगों को स्वयं, परिवार और समाज के प्रति कर्तव्यों को निभाने का संकल्प दिलाया. शास्त्री जी जैसा जीवन जीने वाले लोग आज भी हैं, हमारा समाज अमर है. सरसंघचालक जी को लालबहादुर शास्त्री पर आधारित ‘धरती का लाल’ और ललिता शास्त्री पर लिखी पुस्तक ‘समर्पित साधिका’ भेंट की गई.
पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी के पुत्र सुनील शास्त्री जी ने कहा कि बाबूजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बहुत सम्मान करते थे. उन्होंने कार्यक्रम में अपने पिता से जुड़े कई संस्मरण सुनाए. उन्होंने बताया कि 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. बैठक में पहुंचे तो वहां संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर (श्री गुरूजी) उपस्थित नहीं थे. इस पर बाबूजी ने पूछा, गुरूजी क्यों नहीं हैं तो उपस्थित लोगों ने कहा कि बैठक राजनीतिक दलों की है, इसलिए संघ प्रमुख को नहीं बुलाया गया है. इस पर बाबूजी ने कहा कि जब भी देश की बात आएगी तो संघ जरूर रहेगा. तब गुरूजी के आने के बाद ही बैठक शुरू हुई.
उन्होंने अतीत को याद करते हुए कहा कि वह 15 साल की उम्र में यहां आए थे. तब बाबूजी ने अम्मा से कहा कि ताशकंद से लौटने के बाद इसी गांव में आकर बस जाएंगे. मुझसे पूछा था कि तुम्हारा क्या कहना है? तब मैंने कहा था कि मैं आपकी इच्छाओं को पूरा सम्मान करते हुए उसे आगे बढ़ाऊंगा. ताशकंद से बाबूजी नहीं लौट पाए. उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए अम्मा ने स्कूल की स्थापना की. बच्चे अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित कर आगे बढ़ें, इसे लेकर वे काफी प्रयत्नशील रहीं.