नई दिल्ली. जम्मू में शिविर में रखे गए 155 रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार भेजने का रास्ता साफ हो गया है. सर्वोच्च न्यायालय ने रोहिंग्याओं को म्यांमार न भेजे जाने वाली याचिका का निपटारा कर दिया. न्यायालय ने कहा कि रोहिंग्याओं को कानून की तय प्रक्रिया के तहत वापस भेजा जा सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका याचिका दायर कर मांग की गई थी कि रोहिंग्याओं को वापस म्यांमार न भेजा जाए, क्योंकि वहां उनको जान का खतरा है. न्यायालय ने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने जम्मू में 150 रोहिंग्याओं को हिरासत में रखा है और उन्हें नियमों के अनुसार वापस म्यांमार भेजा जा सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज की जनहित याचिका
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि विदेशी नागरिक या शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने की जो भी प्रक्रिया और नियम हैं, उसका पालन करते हुए भारत सरकार उन्हें वापस म्यांमार भेज सकती है. यानि फिलहाल जम्मू में पकड़े गए रोहिंग्या को रिहा नहीं किया जाएगा. न्यायालय के आदेश के अनुसार जैसे ही उन्हें वापस भेजने की कागजी कार्रवाई पूरी हो जाती है, उन्हें सरकार वापस भेज सकती है. न्यायालय के आदेश के बाद बाकी रोहिंग्या को भी वापस भेजने का रास्ता साफ हो गया है.
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि रोहिंग्या समुदाय के बच्चों को मारा जाता है, उन्हें अपंग कर दिया जाता है और उनका यौन शोषण किया जाता है. म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवीयता कानून का सम्मान करने में विफल रही है. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता के वकील म्यांमार की समस्याओं की यहां बात कर रहे हैं.
जम्मू में 155 से ज्यादा रोहिंग्या को शिविर में रखा गया है. जम्मू कश्मीर पुलिस ने जांच के बाद कुछ लोगों को घर जाने की इजाजत दे दी थी. लेकिन बड़ी संख्या में जमा हुए रोहिंग्याओं को ‘होल्डिंग सेंटर’ भेज दिया.