जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुफ्ती वलीउल्लाह के लिए इंसाफ मांगने वो हाईकोर्ट जाएंगे. ब्लास्ट के इस आरोपी को फांसी की सजा देना नाइंसाफी है.
अरशद मदनी ने कहा कि मुफ्ती वलीउल्लाह को संकट मोचन मंदिर में ब्लास्ट करने पर गाजियाबाद सेशन अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. हमारा तर्क है कि आरोपी बेकसूर है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से गुजरात के अक्षर धाम घटना के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया था वैसे ही मुफ्ती को भी वो इंसाफ दिलाने के लिए हाईकोर्ट जाएंगे. उन्होंने कहा कि आरोपी को न्याय नहीं मिला है.
ज्ञानवापी प्रकरण में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में 1947 की स्थिति बरकरार रखने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. गर्मियों के अवकाश के बाद कोर्ट उक्त अर्जी पर सुनवाई करेगा. जमीयत उलेमा-ए-हिंद, बाबरी मस्जिद मसले में भी एक पक्ष था. पूजा स्थल अधिनियम 1991, इबादतगाह कानून आदि विषयों पर हम उच्चतम न्यायालय में अपनी बात कहेंगे.
उल्लेखनीय है कि वाराणसी में 2006 में सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में 16 साल बाद आतंकी वलीउल्लाह को गाजियाबाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने सोमवार को फांसी की सजा सुनाई थी. शनिवार को ही अदालत ने वलीउल्लाह को दोषी करार दिया था. वाराणसी में बम ब्लास्ट के दौरान 18 लोगों की मौत हुई थी और 50 लोग घायल हुए थे.
रिपोर्ट्स के अनुसार, जमीयत पहले भी अन्य मामलों में दोषी करार आतंकियों को बचाने के लिए केस लड़ चुकी है. जिनमें जर्मन बेकरी ब्लास्ट केस, यासीन भटकल, 26/11 मुंबई बम ब्लास्ट, 2011 पुणे ब्लास्ट, 2010 बंगलुरु ब्लास्ट सहित अन्य मामले शामिल हैं.