लगभग डेढ़ माह पूर्व 9 मई को हिंडौन सिटी थाने पर सूचना मिली कि एक मूक बधिर बच्ची जली हुई अवस्था में भर्ती है. पुलिस के अनुसार, उस समय बालिका अस्पताल में बयान देने की स्थिति में नहीं थी. बालिका के माता पिता भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं थे. जिसके बाद बालिका को जयपुर एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया.
मामला समाचार पत्रों में आते ही राजनीति गर्मा गई. जांच चल ही रही थी कि किसी ने मुख्यमंत्री से त्याग पत्र मांग लि, तो किसी ने हिन्दू समाज में विभेद पैदा करने के लिए पूरे मामले को जनजाति समाज बनाम सवर्ण बनाने के प्रयास शुरू कर दिए. ट्राइबल आर्मी हंसराज मीणा ने X पर लिखा – “राजस्थान में न्याय जाति देखकर मिलता है. मेरे करौली जिले की मूक बधिर बेटी की हत्या की घटना में इसलिए न्याय नहीं मिल पा रहा है क्योंकि बेटी आदिवासी और आरोपी राजस्थान के CM की जाति का है”. हालांकि बाद में उन्होंने इसे डिलीट कर दिया.
अब पुलिस ने 10 वर्षीय डिंपल मीणा की मौत के कारणों का खुलासा करते हुए बताया कि डिंपल के माता-पिता और मामा ने डिंपल को कीटनाशक पिलाकर उसकी हत्या की थी. पुलिस के अनुसार, इस मामले में झूठे आरोप, फॉरेंसिक रिपोर्ट और अपराध को सुलझाने के लिए गहन छानबीन की और अपराधी पाए जाने पर माता पिता व मामा को गिरफ्तार कर लिया.
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि डिंपल के माता-पिता और मामा तीनों ने डिंपल को मारने का षड्यंत्र किया था. डिंपल ने अपनी माँ को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया था, जिसके बाद मां ने उसके साथ मारपीट की, तो क्षुब्ध होकर डिंपल ने स्वयं को आग लगा ली, बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान डिंपल के मामा ने दूध में जहर मिलाकर पीड़िता को पिला दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई और पूरे मामले में बच्ची के माता-पिता ने खेत मालिक के बेटे ललित शर्मा (जिसके खेत में वह जली अवस्था में मिली) को फंसाने का षड्यंत्र रचा.
कब क्या हुआ?
9 मई को हिंडौन सिटी थाने पर सूचना मिली कि एक 10 वर्षीय मूक बधिर बच्ची डिम्पल मीणा जली हुई अवस्था में भर्ती है.
11 मई को पीड़िता के पिता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उसकी नाबालिग बच्ची को दो अज्ञात युवकों ने जलाया है. जलाने के बाद दोनों युवक रेलवे पटरी की ओर भाग गए. परिजनों द्वारा आरोप लगाया गया था कि उसकी बच्ची के साथ दुष्कर्म भी हुआ है, फिर उसे जलाया गया है.
14 मई को एसएमएस अस्पताल में बालिका का बयान लिया गया, जिसमें पीड़िता ने बताया कि एक युवक द्वारा पेट्रोल डालकर उसको जलाया गया. उसने बताया कि दुष्कर्म की घटना उसके साथ नहीं हुई है. लड़की की तबीयत में सुधार होने लगा था.
19 मई को अचानक उसकी हालत बिगड़ने लगी, जिससे डॉक्टर हैरान रह गए. उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी. जहर के बारे में पता न होने के कारण डॉक्टर उसका उचित इलाज नहीं कर पाए. माता-पिता द्वारा उसे वेंटिलेटर पर रखने से मना करने के कारण उसकी हालत और भी जटिल हो गई.
20 मई को पीड़िता की जयपुर के एसएमएस अस्पताल में मृत्यु हो गई. इसके बाद पीड़िता के परिजनों द्वारा सोशल मीडिया पर पीड़िता के साथ दुष्कर्म करके जलाकर मारने की झूठी अफवाह फैलाई गई. भरतपुर आईजी राहुल प्रकाश ने एसआईटी टीम गठित कर मामले की जांच शुरू की.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जांच के बाद घटनास्थल पर मोबाइल फॉरेंसिक टीम भरतपुर को बुलाया गया. जयपुर अस्पताल से पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगाई गई. एसएमएस के बर्न वॉर्ड, गैलरी, मेन रोड और घटनास्थल के आसपास लगभग 200 सीसीटीवी कैमरे देख कर साक्ष्य जुटाए. साइबर टीम ने 300 से अधिक सीडीआर का विश्लेषण किया.
जांच के दौरान एफएसएल रिपोर्ट में कपड़ों, स्किन, हेयर सैम्पल पर पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड के ट्रेस पाए गए. मेडिकल बोर्ड ने खुलासा किया कि बच्ची की मृत्यु से 24 घण्टे पहले उसको कीटनाशक पिलाया गया था, जिससे उसकी मृत्यु हुई है. दुष्कर्म संबंधी नमूने में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई. मृत्यु का कारण कीटनाशक जहर का सेवन पाया गया. इसके बाद पुलिस ने डिंपल के माता पिता और मामा को गिरफ्तार किया.
अब जब पुलिस ने दूध का दूध और पानी का पानी कर ही दिया है, तो क्या हंसराज मीणा समाज में विभेद पैदा करने वाले अपने ट्विट के लिए ग्लानि अनुभव करेंगे?