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‘मूल की ओर लौटो’ के उद्घोष के साथ ‘विविभा: 2024’ का समापन

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गुरुग्राम, 17 नवंबर 2024.

गुरु द्रोण की नगरी गुरुग्राम में भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित त्रि-दिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन ‘विविभा: 2024’ के अंतिम दिन योग गुरु स्वामी रामदेव ने शोधार्थियों को योगाभ्यास करवाया. उन्होंने दैनिक जीवन से लेकर राष्ट्र निर्माण तक में योग के महत्व पर प्रकाश डाला. स्वामी रामदेव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा करते हुए कहा कि जो लोग स्वदेशी अभियान को प्रारंभ करने का श्रेय लेते हैं, मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि स्वदेशी अभियान की आधारशिला संघ ने बहुत पहले रख दी थी और मुझे भी इस अभियान को आगे बढ़ाने का मौका मिला.

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने भारत केंद्रित शोध को प्रोत्साहित कर युवाओं में शोध कार्य के प्रति जागरूकता लाने के भारतीय शिक्षण मंडल युवा आयाम के प्रयास की सराहना की. एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में भारतीय शिक्षण मंडल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. राष्ट्रीय सुरक्षा और विकसित भारत की संकल्पना देश के प्रत्येक नागरिक की प्राथमिकता होनी चाहिए. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इन्द्रेश कुमार ने भारत केन्द्रित शोध को महत्वपूर्ण बताया.

15 नवंबर से 17 नवंबर तक आयोजित कार्यक्रम में देश भर से आए 1200 शोधार्थियों को देशभर से आए विषय विशेषज्ञों से मुक्त चर्चा का अवसर मिला. भारत केंद्रित शोध को बढ़ाने और युवा शोधार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए तीन दिन तक चले शोध महाकुंभ में युवाओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अनुकरण करने लायक चीजें ही लेने और अन्धानुकरण से बचने का मंत्र दिया. गीता मनीषि महामंडलेश्वर परम पूज्य ज्ञानानंद जी महाराज ने युवाओं को श्रीमद्भगवद्गीता के ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ श्लोक को जीवन का सूत्र वाक्य बनाने का आह्वान किया. उन्होंने युवाओं और विशेष रूप से युवा शोधार्थियों को भविष्य की चिंता में ऊर्जा व्यय करने के स्थान पर वर्तमान के निर्माण में जुट जाने का आह्वान किया.

समापन समारोह में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय अध्यक्ष सच्चिदानंद जोशी, भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. सुहास पेडनेकर ने भी अपने विचार रखे. भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकरानंद जी ने समापन सत्र में ‘विजन 2047’ के लक्ष्य को मूर्त रूप में लाने के लिए युवाओं की प्रमुख भूमिका बताई. उन्होंने कहा आध्यात्मिक शक्ति की नींव पर भारत को विकसित बनाना है, तभी वह एक श्रेष्ठ भारत बन पाता है. युवा अपने पाँच मूल कार्यों पर केंद्रित होकर पूर्ण समर्थन और समर्पण भाव से कार्य करें. हमारा पहला काम है अनुसंधान. एक विद्यालय की वेशभूषा या पोशाक किस रंग की होनी चाहिए, यह भी एक शोध का विषय है. इसीलिए शोध, शिक्षण मंडल का प्रमुख कार्य है. दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है पाठ्यक्रम निर्माण. तीसरा महत्वपूर्ण कार्य है प्रकाशन और चौथा है शिक्षण विधि. हमारा अंतिम और पाँचवाँ कार्य है, शिक्षक शिक्षा और हमारे सभी पांच कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.

एसजीटी विश्विद्यालय के अध्यक्ष डॉ मनमोहन चावला ने शोधार्थियों से कहा कि ‘विविभा: 2024’ में पूरे भारत से आए शोधार्थियों को अत्यन्त लाभ मिला है. भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री डॉ. भरत शरण सिंह ने आभार व्यक्त किया, जबकि अतिथि परिचय भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. संजय पाठक ने व मंच संचालन डॉ. चंचल भारद्वाज ने किया.

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