शिमला. हिमाचल प्रदेश के पूर्व प्रांत संघचालक और समाजसेवा के प्रतीक पंडित जगन्नाथ शर्मा जी आज सांसारिक यात्रा पूर्ण कर देवलोकगमन कर गए. 18 दिसंबर को प्रातः 2.30 बजे उनका निधन हुआ. उनके जाने से समाज ने एक प्रेरणास्त्रोत और मार्गदर्शक को खो दिया है. उन्होंने अपनी देह एम्स, बिलासपुर को अनुसंधान और चिकित्सा शिक्षा के लिए दान कर दी थी. आज भुंतर में आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उनके पार्थिव शरीर को एम्स बिलासपुर को सौंप दिया जाएगा. उनका यह कदम समाज के प्रति उनके समर्पण और परोपकार की भावना का प्रतीक है.
उनका जन्म 27 जून, 1927 को हिमाचल प्रदेश के ज़िला बिलासपुर के गाँव अमरपुर में हुआ था. पिता जी का नाम पंडित जयराम और माता जी का नाम श्रीमती बिन्द्रावती है. माता पिता की इकलौती सन्तान रहे. 23 वर्ष की आयु में आपका विवाह हुआ.
प्रारम्भिक शिक्षा सर बटलर हाई स्कूल शिमला (वर्तमान में केन्द्रीय विद्यालय) से हुई. इसके पश्चात जॉर्ज विजय हाई स्कूल बिलासपुर से मेट्रिक की परीक्षा 1944 में उत्तीर्ण की. वर्ष 1946 में डीएवी कॉलेज लाहौर से फैकल्टी ऑफ़ साइंस की परीक्षा पास की. वर्ष 1944 में संघ के सम्पर्क में आए और स्वयंसेवक बने. संघ प्रवेश शाखा भून्तर में हुआ था, उन दिनों श्री सीताराम जी कुल्लू के प्रचारक थे, वे ज़िला कुल्लू के गाँव निरमंड से थे.
भारत विभाजन के आप प्रत्यक्ष गवाह रहे. उन दिनों आप लाहौर में ही पढ़ते थे. संघ द्वारा गठित ‘पंजाब रिलीफ कमेटी’ में स्वयंसेवकों के साथ मिलकर कार्य किया. यह कमेटी संघ प्रचारक हकुमत राय की देख रेख में कार्य कर रही थी. हिन्दुओं को सकुशल भारत भेजने का कार्य लगभग एक मास तक कमेटी के माध्यम से चला.
वर्ष 1958 में गुरदासपुर ज़िला के संघचालक बने. वर्ष 1960 में अमृतसर विभाग के संघचालक का दायित्व ग्रहण किया. संघ में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए आप हिमगिरी प्रान्त के संघचालक भी रहे. इसके पश्चात वर्ष 2000 में हिमाचल प्रान्त के प्रथम संचालक बने और वर्ष 2008 तक दायित्व का निर्वहन किया. दायित्व मुक्त होने के वाद भी आप संघ कार्य में सक्रिय रहे. 10 जुलाई, 2023 को आपने एम्स बिलासपुर में स्वयं जाकर अपना देहदान किया और आज अपनी सांसारिक यात्रा संपूर्ण कर समाज के प्रति समर्पण किया.
उनके जाने से हुई यह क्षति अपूरणीय है. उनके विचार और कार्य सदैव प्रेरणा देते रहेंगे. स्वयंसेवक, परिवार और समाज के लिए यह दुःख का समय है. हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और उनके परिवार को दुःखद घड़ी में संवेदनाएं व्यक्त करते हैं.
ॐ शांतिः